नई दिल्ली। पीओके में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के होने और नहीं होने को लेकर भले तरह-तरह की बातें कहीं जा रही हैं। मगर सरकार ने इसका वीडियो जारी नहीं करने का निर्णय लिया है। इसका कारण कार्रवाई की तकनीक का दुश्मन को पता लगने का खतरा बताया जा रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी सीमा पर जैसे हालात हैं, नहीं लगता की आतंकी शांत बैठने वाले। उनकी हरकतें अभी भी जारी हैं। वे आर्मी बेस कैंप पर भी हमला कर रहे हैं। बारामुला में उन्होंने फिर एक सैनिक की हत्या कर दी। यानि खतरा बढ़ा ही है। इस खतरे को देखते हुए रक्षा मंत्री पर्रिकर ने और सर्जिकल स्ट्राइक पर जोर दिया है।
इस बीच सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर राजनीती भी शुरू हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, मुंबई के कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम सहित कई संगठनों ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर ऊँगली उठाई है। उनकी ओर से उसकी वीडियो जारी करने को दबाव डाला जा रहा है। मगर सेना विशेषज्ञों की सलाह पर किसी तरह के दबाव में आकर वीडियो जारी नहीं करने का सरकार ने निर्णय लिया है।
सेना सूत्रों का कहना है कि देश की सुरक्षा के मद्देनजर सेना सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी नहीं करेगी। सेना नहीं चाहती कि दुश्मन देशों को वीडियो के जरिए भारत के ऑपरेशन को अंजाम देने की तकनीक का पता चले। इसने पीओके में आतंक का अड्डा खत्म करने के लिए आगे भी सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की हुई है।सरकार ने बीएसएफ और सेना को सीमा पर फायरिंग की आड़ में घुसपैठ की कोशिश होने पर जवाबी कार्रवाई में मोर्टार और आर्टीलरी शैलिंग से लॉन्च पैड को तबाह करने की हिदायत दी है।सर्जिकल स्ट्राइक पर विरोधियों के सवाल को लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पूरे देश को सेना पर भरोसा है।
Top Stories