नांदेड़ हथियार जब्ती मामला: मुंबई हाई कोर्ट ने कहा, छह महीने के अन्दर सुनवाई पूरी की जाए

मुंबई: आतंकवाद के आरोपों के तहत गिरफ्तार नांदेड़ के एक मुस्लिम युवक की जमानत याचिका पर दो सालों के लंबे इंतजार के बाद मुंबई हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया और अपने आदेश में आरोपी को जमानत पर रिहा करने के बजाय विशेष एनआईए अदालत को कहा कि अगले छह महीने के भीतर सुनवाई पूरी करे और मामले की सुनवाई पूरी नहीं होने की स्थिति में आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला जारी किया जाएगा।

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बसीरत ऑन लाइन के अनुसार,आज यहां मुंबई में कानूनी सहायता प्रदान करने वाली गैर सरकारी संगठन जमीअत उलेमा महाराष्ट्र (अरशद मदनी) के कानूनी सहायता समिति के प्रमुख गुलजार आजमी ने यह जानकारी दी। गुलज़ार आजमी ने बताया कि मुंबई हाई कोर्ट के दो सदस्यी बेंच के जस्टिस वी के तहलरमानी और न्यायमूर्ति मोहित डेरे ने मुलजिम इरफान मोहम्मद गौस की ज़मानत याचिका पर चर्चा के दौरान एडवोकेट मतीन शेख को कहा कि अदालत फिलहाल आरोपी को जमानत पर रिहा किए जाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन अदालत निचली अदालत को आदेश देती है कि वह इस मामले की सुनवाई अगले छह महीने में पूरी कर ले अन्यथा आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। गुलजार आजमी ने कहा कि हालांकि निचली अदालत में सुनवाई शुरू हो चुकी है और सरकारी गवाहों की गवाही जारी है। लेकिन विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश मोरे के तबादला होने की वजह से मामले में देरी हो सकती है। गुलज़ार आजमी ने कहा अगर छह महीने में सुनवाई पूरी नहीं होती है तो आरोपियों की जमानत पर रिहाई के लिए हाईकोर्ट से राबता किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एडवोकेट अब्दुल वहाब खान, एडवोकेट शरीफ शेख, एडवोकेट मतीन शेख, एडवोकेट अंसार तंबोली, एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट चिराग शाह और अन्य वकीलों की एक टीम इस मामले की सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए जमीअत उलेमा की ओर से तय की गई है।

बता दें कि पांच साल पहले महाराष्ट्र एटीएस ने नांदेड़ जिले से पांच मुस्लिम युवा मोहम्मद मुज़म्मिल अब्दुल गनी, मोहम्मद सादिक मोहम्मद फारूक, मोहम्मद इलियास मोहम्मद अकबर, मोहम्मद इरफान मोहम्मद गौस और मोहम्मद अकरम मोहम्मद अकबर को अवैध गतिविधियों को रोकने से संबंधित कानून के प्रावधान 10,13,15,16 और घातक हथियार रखने वाले कानूनी प्रावधान 3,25 के तहत गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि विदेशों में स्थित लश्कर और हरकतुल मुजाहिदीन नामक संगठन से ई-मेल और टेलीफोन संपर्क में थे और उनके पास से पुलिस ने दो रिवाल्वर भी जब्त करने का दावा किया था। इस मामले के आरोपियों की जमानत याचिका निचली अदालत ने पहले ही खारिज कर दी थी जिसके बाद मुंबई हाई कोर्ट से संपर्क किया गया था।