ये बात इंतिहाई शर्मनाक कही जा सकती है ख़ुसूसी तौर पर नागपुर की आर एस टी यूनीवर्सिटी पर तलबा ( छात्राओं) के लिए जहां यूनीवर्सिटी की गाईड्स और वेब साईट्स में बाअज़ मुतवफ़्फ़ी ( स्वर्गीय) माहिरीन तालीम को भी रिसर्च फैकल्टी का हिस्सा बताया है ।
मारूफ़ ( मशहूर) अदबी शख़्सियत मानक घोटगाटे जो पोयट ग्रास के नाम से ज़्यादा जाने जाते हैं और जिन का हाल ही में इंतेक़ाल हुआ था लेकिन इन का नाम आज भी यूनीवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक़ आर्टस फैकल्टी की गाईड में पी एच डी के उम्मीदवारों में ज़ाहिर किया गया है ।
इसी तरह साबिक़ प्रोफेसर वाइस चांसलर मधूकर रोडे भी 12 नवंबर 2010 को इंतेक़ाल कर गए थे लेकिन वो भी कामर्स फैकल्टी में पी एच डी सुपरवाईज़र की हैसियत से दिखाए गए हैं । दरीं असना कंट्रोलर आफ़ इग्ज़ामनीशन (COE) सिद्धार्थ काने ने एतराफ़ किया कि फ़हरिस्त (सूची/List) में कई मुतवफ़्फ़ी ( स्वर्गीय/ मृतक) अश्ख़ास (व्यक़्ती) के नाम भी शामिल हो गए हैं ।
ये मुआमला दरअसल बहस का मौज़ू (विषय) कई बार बना लेकिन बात इस से आगे नहीं बढ़ सकी । इस मुआमला को मुताल्लिक़ा हुक्काम के इल्म में लाने की ज़िम्मेदारी रिसर्च रीकोगीनेशन कमेटीयों (research recognition committee) RRCS की है जो बादअज़ां मुआमला को एकेडमिक कौंसल से रुजू करती हैं जब कि सीनीयर सैनेट रुकन अनील धागे जो नागपुर यूनीवर्सिटी टीचर्स एसोसीएसन (NUTA) के सेक्रेटरी भी हैं ने वाज़िह तौर पर कहा कि इस मुआमला को मुताल्लिक़ा हुक्काम तक पहुंचाना और असल काहिली की एक ज़िंदा मिसाल है ।
उन्होंने कहा कि हम ने अपने आला ओहदेदारों के साथ इस मुआमला को कई बार उठाया लेकिन कोई पज़ीराई (मंजूरी) नहीं हुई लेकिन अब वक़्त आगया है कि इस मुआमला पर संजीदगी से ग़ौर किया जाए क्योंकि अब यूनीवर्सिटी की नेकनामी दाँव पर लगी हुई है । धागे ने कहा कि मारूफ़ नजूमी और बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) अंग्रेज़ी स्कालर पी एस शास्त्री का कुछ साल क़बल ( पहले) इंतेक़ाल हो चुका है लेकिन यूनीवर्सिटी की फैकल्टी फ़हरिस्त ( list/सूची) में इन का नाम भी मौजूद है ।