नामूस(इज्ज़) के लिए चार ख़वातीन का कत्ल हुआ, एक गवाह का ब्यान

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और सरकारी हुक्काम को एक पहाड़ी गांव जाकर इस का पता लगाने का हुक्म दिया है कि आया एक शादी के दौरान मर्दों को रक़्स करते(नाचते) हुए देख कर तालियां बजाने और गाने के जुर्म में चार ख़वातीन को हलाक कर दिया गया है।मोबाइल फ़ोन पर फिल्माई गई शादी का फूटेज हाल ही में टेलीविज़न चैनलों पर दिखाया गया।

शादी में रक़्स करने एक मर्द के भाई ने सहाफ़ीयों को बताया कि दूर उफ़्तादा शुमाली गांव गीज़ारालीतरे में एक क़बाइली शूरा ने औरतों के कत्ल का हुक्म दिया था क्योंकि उन्हों ने क़बाइली रवायात की ख़िलाफ़वरज़ी की थी। अफ़ज़ल ख़ां ने कल सुप्रीम कोर्ट के बाहर नामा निगारों को बताया कि मैं ये बात क़स्म ख़ाके कहता हूँ कि इन लड़कीयों को क़बाइली अदालत के हुक्म पर कत्ल किया गया है, उन्हें 30 मई को मौत के घाट उतारा गया ।

इस ने मज़ीद कहा कि मुझे अपनी और अपने भाईयों की जान का ख़ौफ़ है। इस मुआमले के बाद पाकिस्तान में नामूस(इज्ज़) के लिए कत्ल का मुआमला एक बार फिर सुर्ख़ीयों में आगया है। पाकिस्तानी इंसानी हुक़ूक़ के मुताबिक़ पिछले साल इस जुनूब एशियाई मुल्क में कम-ओ-बेश एक हज़ार ख़वातीन को नामूस(इज्ज़) के तहफ़्फ़ुज़ के नाम पर मौत की नींद सुला दिया गया था।