नाम ए मुहम्मद ( स‍०अ०व०) का एहतेराम करने की मुहिम

रियाद, 23 नवंबर: (सियासत डाट काम) किंग अब्दुल-अज़ीज़ यूनीवर्सिटी के तलबा के एक ग्रुप ने हुज़ूर अकरम स०अ०व० के ख़ूबसूरत तरीन नाम-ए-मुक़द्दस मुहम्मद ( स०अ०व०) का एहतेराम करने की मुहिम शुरू की है। रोज़मर्रा ज़िंदगी में उम्मत ए मुस्लिमा के कई अफ़राद के नाम के साथ मुहम्मद रखा जाता है, लेकिन इस नाम से मुख़ातिब करने के दौरान इसके तक़द्दुस को मल्हूज़ नहीं रखा जाता, बल्कि मुँह से जो निकला कह दिया।

सोश्यल मीडीया के ज़रीया भी मुहिम चलाई जा रही है कि नाम ए मुहम्मद का एहतेराम किया जाये। इस मुहिम का दोहरा मक़सद है, एक तो मुसलमानों को इस मुक़द्दस नाम के मानी-ओ-मफ़हूम से वाक़िफ़ करवाना और इसका एहतेराम करते हुए इसके तक़द्दुस, इफ़ादीयत और बुजु़र्गी की जानिब तवज्जा दिलाना है, ताकि मुसलमान नाम-ए-मुहम्मद को अपने दिलों में बसाए रखें।

इन नौजवान तलबा का दूसरा मक़सद आम आदमी की जानिब से बेहुर्मती के साथ लफ़्ज़ ए मुहम्मद के इस्तेमाल की आदत तर्क करवाना है। जिस शख़्स का नाम मुहम्मद हो उसे लोग अरे, ए, हाय, तू, तेरा से मुख़ातिब करते हैं, जबकि नाम मुहम्मद के आते ही मलाइका दरूद भेजते हैं, लिहाज़ा उम्मत ए मुस्लिमा को भी बसद एहतेराम इस पर अमल पैरा होना चाहीए।

अगर किसी दूकानदार के मुलाज़िम का नाम मुहम्मद हो तो इस के साथ अदब से पेश आए, उसे जनाब, भाई साहिब या बिरादर कह कर मुख़ातिब करे, लेकिन देखा ये जा रहा है कि लोग रोज़मर्रा ज़िंदगी में इस नाम के अफ़राद के साथ बेहुर्मती से पेश आते हैं और ग़लत अलफ़ाज़ का इस्तेमाल करते हैं।

किंग अब्दुल-अज़ीज़ यूनीवर्सिटी के तलबा की इस मुहिम को मक़बूलियत हासिल हो रही है। दुनिया भर के तमाम मुसलमानों को इस ख़ूबसूरत नाम के तक़द्दुस को बरक़रार रखने के लिए मुहिम चलाने की ज़रूरत है।