दो एन आर आई बच्चों को जिन्हें गुज़शता एक साल से हुक्काम ने नार्वे में ज़ेर-ए-निगरानी रखा था, वो बच्चे आज हिंदूस्तान की जानिब से सिफ़ारती दबाव और क़ानूनी जंग जीत कर हिंदूस्तान आए, जहां उनका पुरतपाक ख़ौरमक़दम किया गया। दोनों बच्चे अभिग्यान और ऐश्वर्या अपने मुंह बोले वालिद के साथ पहुंचे, जिन का इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयर पोर्ट पर इन का ख़ौरमक़दम करने वालों में रियास्ती वज़ीर बराए अमोर ख़ारजा परनीत कौर और बच्चों के दादा, दादी शामिल थे।
याद रहे कि नार्वे की एक अदालत ने कल दोनों बच्चों को उन के चाचा की निगरानी में सौंप दिया था जिसके बाद इस सिफ़ारती जंग का बिलआख़िर ख़ातमा हो गया क्योंकि हिंदूस्तान ने नार्वे पर सिफ़ारती तौर पर दबाव बना रखा था कि बच्चों को हिंदूस्तान वापस भेजा जाए जिन्हें गुज़शता साल नार्वे ले जाया गया था।
दरीं असना मर्कज़ी वज़ीर-ए-ख़ारजा एस एम कृष्णा ने भी बच्चों का इस्तेक़बाल करते हुए हुकूमत नार्वे से इज़हार-ए-तशक्कुर किया और कहा कि बच्चों का ताल्लुक़ हिंदूस्तान से था और बिलआख़िर वो हिंदूस्तान आ गए। उन्होंने तवक़्क़ो ज़ाहिर की कि बच्चों के चाचा बच्चों की उम्दा निगहदाश्त करेंगे और उन्हें कोई तकलीफ़ या मुश्किल का सामना नहीं करने देंगे।
उन्होंने एक बार फिर कहा कि हुकूमत नार्वे और ख़ुसूसी तौर पर नार्वे के वज़ीर-ए-ख़ारजा का वो हकूमत-ए-हिन्द की जानिब से तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने इस मुआमला में इंतिहाई इक़्दार को मल्हूज़ रखते हुए एक तामीराती रोल अदा किया और बिल आख़िर एक ऐसा फ़ैसला किया जिस ने सब को मसरूर कर दिया।
यहां इस बात का तज़किरा एक बार फिर ज़रूरी है, कि दोनों बहन भाईयों को नार्वे की चाइल्ड वेलफेयर एजेंसी ने उन के वालदैन अनूरूप और सिगार यक्का भट्टाचार्य से ये कह कर हासिल कर लिया था कि वो जज़बाती तौर पर अपने वालदैन से मरबूत नहीं, जिस पर वालदैन ने इन इल्ज़ामात की तरदीद की और वज़ाहत की कि ये मुआमला दरअसल सक़ाफ़्ती ग़लतफ़हमी का है।