नालंदा, 06 फरवरी: बिहार के वज़ीरे आला नितिश कुमार ने कहा कि बिहार के क़दीम नालंदा यूनिवर्सिटी के खंडरों को विर्सा के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। अब तक इसे विर्सा में शामिल नहीं किया जाना हैरत की बात है। राजगीर में मंगल के दिन बैनुल अक़वामी नालंदा यूनिवर्सिटी के निगरानकार कमेटी की इजलास में हिस्सा लेने आए सी एम ने कहा कि नालंदा यूनिवर्सिटी के खंडहरों को क़दीम विरासत का दर्जा के लिए उनकी मुहिम रही है।
उन्होंने कहा कि अब तो यहां बड़े-बड़े दानिश्वर आ रहे हैं। हुकुमते हिन्दुस्तान को अब इसके लिए आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नोबेल अवार्ड से एज़ाज़ याफता माहिर सिगलेट के सामने इससे पहले भी इन बातों का जिक्र किया गया है। मुख्यमंत्री(CM) ने कहा कि ये ज़रूरी है कि नालंदा यूनिवर्सिटी इल्म के मरकज़ के साथ तरक्की का मरकज़ भी बने, इस इलाके के गांव की तरक़्क़ी के लिए ताअवुन करे। पुरानी नालंदा यूनिवर्सिटी किन-किन गांव से मिली हुई थी, इसका पता लगाया जा रहा है।
क़ाबिले ज़िक्र है कि इसके कब्ल पीर को नोबल अवार्ड दिये और बैनुल अक्वामी नालंदा यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने भी क़दीम नालंदा यूनिवर्सिटी को अब तक विर्सा का ऐलान नहीं किए जाने को बिहार के साथ नाइंसाफी बताया था। उन्होंने कहा है कि हुकूमते हिन्दुस्तान को अपनी तज्वीज़ में इसे पहली तरजीह बनानी चाहिए और यूनेस्को को भेजना चाहिए।