नाले और डरेंज से निकले हुए कचरे की कई दिनों तक अदम सफ़ाई से अवाम परेशान !

हैदराबाद ।२६ । मई (सियासत न्यूज़) बटहते हुए नाले और उबलते हुए डरेंज से पहले ही परेशान शहरीयों को महिकमा बलदिया के जारोब कशों और साफ़ सफ़ाई अमले के दरमयान ताल मेल के फ़ुक़दान से दो हरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नाले और डरेंज से निकाले जाने वाले कचरे को हफ़्ते भर नाले और डरेंज के बाज़ू यूंही छोड़ दिया जाता है,जिस से एक तरफ़ बदबू और ताफ़्फ़ुन फैलता है तो दूसरी तरफ़ मासूम बच्चों के इन कचरे के ढेर में खेलने से उनकी सेहत को भी नुक़्सान पहुंचने का ख़दशा लगा रहता है।

ज़ेर नज़र तस्वीर अमजद दौला बाग़ ओरगड़ य के दवाखाने से उल-नूर होटल की तरफ़ जाने वाले रास्ते की है जहां के नालों से कचरा निकाल कर हमेशा यूंही छोड़ दिया जाता ही। अरसा-ए-दराज़ से इस मसले से परेशान शहरीयों का कहना है कि नाले और डरेंज की सफ़ाई करने वाला अमला सफ़ाई के बाद सारा कचरा उसके बाज़ू डाल कर चला जाता है ,अवाम की जानिब से पूछे जाने पर इन अमले का कहनाहै कि उनका काम सिर्फ नाले ,मोरियों या डरेंज में मौजूद कचरे को निकाल देना है ,जबकि निकाले गए कचरे और गंदगी को वहा से हटाने की ज़िम्मेदारी बलदिया कि दूसरे अमला की होती है।

मगर मसला ये है कि मज़कूरा दूसरा अमला फ़ौरी तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में नाकाम रहता ही, चूँकि उनका कहना है कि उन्हें इस बात की फ़ौरी इत्तिला नहीं दीजाती कि फ़ुलां इलाक़ा में आज फ़ुलां जगह नाला या डरेंज से कचरे और गंदगी की निकासी की जा रही ही,वक़फ़े वक़फ़े से जब वो अपने मुताल्लिक़ा इलाक़े में जाते हैं तो मालूम होने पर जमा शूदा कचरा उठा लेते हैं।दूसरी तरफ़ मुताल्लिक़ा महिकमा के ज़िम्मा दरान ये कह कर अपना दामन झाड़ लेते हैं कि कचरे की निकासी केलिए गत्ता के असास पर हर इलाक़े में सूपरवाइज़र मुक़र्रर करदिया गया है,लिहाज़ा अगर किसी इलाक़े से निकाले गए कचरे की निकासी में ताख़ीर होती है तो अवाम को चाहिए कि वो मुताल्लिक़ा सौ परवाइज़ र से शिकायत करेंउ वर फिर भी वो लापरवाही का मुज़ाहरा करें तो बलदी ओहदेदारों को उसकी इत्तिला दें तो उसके ख़िलाफ़ ज़रूर कार्रवाई की जाऐगी ,मगर अवाम का कहना है कि नौकरी और रोज़ी रोटी के लिए सुबह को निकल कर शाम को घर वापिस आने वाले लोगों के पास इतनी फ़ुर्सत कहां है कि वो मुताल्लिक़ा सौ परवाइज़ से या मुताल्लिक़ा महिकमा में जाकर शिकायत करे ।

उनका कहना है इसके बजाय मुताल्लिक़ा महिकमा किसी एक ही सूपरवाइज़र को दोनों (कचरे की निकासी और उसे वहां से उठाने की ) ज़िम्मेदारी दी जाय तो ये ज़्यादा बेहतर होगा, या फिर महिकमा बलदिया दोनों किस्म के अमला और सूपरवाइज़र के दरमयान मुकम्मल ताल मेल पैदा करने पर मजबूर करे तो ये मसला बाआसानी हल हो सकता है।

मुक़ामी अवाम के मुताबिक़ नए शहर में ये सूरत-ए-हाल बा अलकल नहीं के बराबर है ,वहां कचरे की निकासी के बाद फ़ौरी उसकी साफ़ सफ़ाई करदी जाती है तो पुराने शहर में वही तरीक़ा क्यों नहीं इख़तियार किया जाता? मुक़ामी अवाम ने मुताल्लिक़ा महिकमा के ओहदेदारों से फ़ौरी इस मसले कोहल करने का मुतालिबा किया है।