निकाह तक़ारीब में बेजा इसराफ़ का सिलसिला बरक़रार

हैदराबाद 16 जुलाई: निकाह में इसराफ़ के ख़ातमे के लिए मुतअद्दिद तहरीकात के बावजूद शहर में जारी निकाह तक़ारीब में इसराफ़ में कमी होती नज़र नहीं आरही है। हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के हर शादी ख़ाने में मुसलसिल तक़ारीब का सिलसिला जारी है और उन तक़ारीब में दौलत की नुमाइश में इज़ाफ़ा ही होता नज़र आरहा है। शहरे हैदराबाद की शादीयों में बेजा इसराफ़ के अलावा लाखों रुपये ज़याफ़त पर ख़र्च किए जा रहे हैं और सजाव‌ट पर भी रक़ूमात ख़र्च की जा रही हैं।अल्लाह के रसूल(स०)  के इर्शादात के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा बा बरकत निकाह वो है जिसमें ख़र्च कम हो। एसा नहीं कि हर निकाह में फुज़ूलखर्ची-ओ-शाहखर्ची देखी जा रही है बल्कि कई एसी निकाह तक़ारीब भी मुनाक़िद हो रही हैं जो सिर्फ मस्जिद की हद तक महदूद कर दी गई हैं और मस्जिद में निकाह के बाद इस्तिक़बालीया के नाम पर कोई तक़रीब मुनाक़िद नहीं की जा रही है बल्कि मस्जिद से ही रुख़्सती अंजाम देते हुए निकाह को आसान बनाने की सिम्त मुसबित पेश-रफ़्त की जा रही है लेकिन एसी चंद एक मिसालें हैं जबकि सैंकड़ों ऐसी मिसालें देखने को मिल रही हैं जिनमें शाहखर्ची और नुमाइश पर लाखों रुपय ख़र्च किए जाने लगे हैं।

माह रमज़ान उल-मुबारक के इख़तेताम के फ़ौरी बाद से शुरू हुए शादीयों के मौसम में शहर के तमाम शादी ख़ाने मसरूफ़ हैं और उन शादी ख़ानों में अंजाम पाने वाली निकाह तक़ारीब को देखते हुए कोई ये नहीं कह सकता कि ये तक़ारीब उस क़ौम के लोगों की हैं जिसकी पसमांदगी का सबूत सरकारी रिपोर्टस में मौजूद है।

शहरे हैदराबाद में जहेज़ की लानत के ख़िलाफ़ चलाई गई तहरीक के मुसबित नताइज बरामद हो रहे हैं लेकिन आम तौर पर ये देखा जाने लगा है कि जहेज़ से जो रक़म महफ़ूज़ की जा रही है वो मयारी शादी के नाम पर ख़र्च की जा रही है जो कि मज़ीद तकलीफ़-दह साबित हो रहा है।

अल्लाह सूरा बनीइसराईल में फ़रमाता है कि इसराफ़-ओ-बे-जा ख़र्च से बचोगे बे-जा ख़र्च करने वाले शैतानों के भाई हैं और शैतान अपने परवरदिगार का बड़ा ही ना शुकरा है।इस बात पर ग़ौर करते हुए हमें फ़ैसला करना चाहीए कि हम क्या कर रहे हैं।