हज बैतुल्लाह के लिए रवाना होने वाले वो आज़मीने हज जिन्हों ने निज़ाम रबात में क़ियाम के लिए दरख़ास्तें दाख़िल की हैं, उन की दरख़ास्तों की जो क़ुरआ अंदाज़ी नाज़िर रबात जनाब हुसैन मुहम्मद अल शरीफ़ ने अंजाम दी इस में जुमला 408 आज़मीने हज को मुंतख़ब किया गया है।
नाज़िर रबात की जानिब से मुंतख़ब कर्दा आज़मीने हज को रबात की दोनों इमारतों में क़ियाम फ़राहम करने का नाज़िर रबात ने फ़ैसला किया है जबकि मर्कज़ी हज कमेटी की जानिब से ताहाल इस सिलसिले में कोई क़तई फ़ैसला नहीं किया गया,
लेकिन नाज़िर रबात जनाब हुसैन मुहम्मद अल शरीफ़ ने बताया कि नाज़िर रबात की हैसियत से उन्हों ने हस्बे साबिक़ अपनी ज़िम्मेदारीयों को पूरा करते हुए क़ौंसिलख़ाना के ओहदेदारों और उमूर मज़हबी ममलकत सऊदी अरब के ओहदेदारों की मौजूदगी में आज़मीन की कंप्यूटराईज़्ड क़ुरआ अंदाज़ी अंजाम दी थी और इस क़ुरआ अंदाज़ी को मर्कज़ी हज कमेटी हिंद ने भी क़ुबूल कर लिया था लेकिन बादअज़ां एच ई एच निज़ाम ट्रस्ट के महकमा मज़हबी उमूर ने इस पर एतराज़ करते हुए मर्कज़ी हज कमेटी को मकतूब रवाना किया
जिस के नतीजा में मर्कज़ी हज कमेटी ने रबात में क़ियाम के मसअले को तात्तुल का शिकार बनाते हुए आज़मीने हज से क़ियाम के अख़राजात वसूल कर लिए जिस के नतीजे में तक़रीबन तमाम आज़मीन ने मर्कज़ी हज कमेटी को मक्का मुअज़्ज़मा में क़ियाम के अख़राजात अदा कर दिए हैं। बसूरते दीगर आज़मीने हज तसरीहात के साथ निज़ाम रबात में क़ियाम की सनद के ज़रीए मर्कज़ी हज कमेटी को वापसी के बाद मकतूब रवाना करते हुए क़ियाम की रक़म की अदायगी का मुतालिबा कर सकते हैं।