निजी वीभागों में क‌रप्शन खत्म करने केलिए क़ानूनबनाने हुकूमत कि कौशिश‌

* राजय सरकारों और मर्कज़ के इंतिज़ाम वाले इलाक़ों से राय मश्वरा, क़ैद कि सज़ा , जुर्माना या दोनों होसक्ता है
नई दिल्ली / निजी वीभागों में बदउनवानी को साजा के लायक‌ जुर्म क़रार देने के इक़दाम पर ग़ौर होरहा है जिस के तहत ख़ातियों को सात साल क़ैद कि सज़ा हो सकती है।

हुकूमत ने तजवीज़ पेश की है कि निजीविभाग में रिश्वतखोरी, रिश्वत लेने और देने दोनों को फ़ौजदारी जुर्म क़रार दिया जाए और इस के लिए हिंद के क़ानून में तरमीम की जाए।

क़ानून-ए-ताज़ीरात हिंद (तरमीमी) बिल 2011 राज्यों और मर्कज़ी के इंतेज़ाम वाले इलाक़ों में पहुंचाया जा रहा है ताकि उन के विचार‌ हासिल किए जाएं। ये इन्फ़िरादी, कंपनी की, सोसाइटी की, ट्रस्ट की अफ़राद की एसोसी एष‌ण, कंपनी की चाहे वो इनकार पोरीटीड होया ना हो लेकिन मआशी या मालीयाती कारोबारी सरगर्मी की ज़िम्मेदारी लेती हो, की जालसाज़ी को शामिल होगा।

इस मसले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सी बी आई की कान्फ़्रैंस में निजी विभागों में रिश्वतखोरी को फ़ौजदारी जुर्म क़रार देने के बारे में ब‌यान दे चुके हैं। और सात माह पहले राज्यों के करप्शन खात्मा ब्युरो को भी इस की खबर‌ दे चुके हैं।

इस वकत निजी विभागों में जालसाज़ी पर क़ाबू पाने के कोई कानुन‌ मौजूद नहीं हैं। क़ानून के मुसव्वदे के मुताबिक़ जो भी मआशी, मालीयाती और कारोबारी सरगर्मी के दौरान अगर कोई भी रास्त या बिलवासता तौर पर किसी भी हैसियत से किसी ख़ानगी इदारा की तरफ‌ से किसी शख़्स के लिए या इस के ज़रीये किसी दूसरे शख़्स के लिए रिश्वत का यकिन‌ देता। पेशकश करता या देता हो तो काबिल-ए-सज़ा होगा।

इस के इलावा अगर कोई रिश्वत हासिल करता है या उस कार्रवाई को क़बूल करता है तो रास्त हो या बिलवासता किसी निजी संस्था की तरफ‌ से किसी शख़्स को फ़ायदा पहुंचाया जाए तो क़ाबिल सज़ा ए क़ैद, जुर्माना या दोनों के हकदार‌ क़रार दिया जाएगा।

मर्कज़ ने तमाम रियास्तों से और मर्कज़ के इंतिज़ाम वाले इलाक़ों से क़ानून-ए-ताज़ीरात हिंद में इन तरमीमात के बारे में इन की राय ज़ाहिर करने की ख़ाहिश की है। एक सरकारी ओहदेदार ने इस बारे में वज़ाहत करते हुए कहा कि मुक़ामी पुलिस या कोई दूसरी ओथोर्टी इस तरमीम के क़ानून बन जाने के बाद ख़ाती के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दर्ज कर सकेगी और कार्रवाई भी कर सकेगी।

लेकिन‌ क़ानून और नज़म‍ ओर‌-ज़बत नाफ़िज़ करने वाले महकमों को ख़ातियों के दरमयान किसी भी सौदेबाज़ी या मुआहिदे का सबूत देना होगा। अब तक बेशतर रियास्तें या तो तजवीज़ से इत्तिफ़ाक़ करचुकी हैं या बाज़ तबदीलीयों की तजवीज़ पेश की है। वज़ारत-ए-दाख़िला के बमूजब गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मग़रिबी बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्रा, आसाम, हरियाणा, मनी पुर, मेघालय, मीज़ोरम, नागालैंड, राजिस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, एंड विमान‍ ओर‌-निकोबार जज़ाइर, चंडीगढ़, दादरा‍ ओ‍र नगर हवेली, लकशादवीप और दिल्ली में तजवीज़ से इत्तिफ़ाक़ किया है।

जम्मू‍ ओर‌-कश्मीर, केराला, टामिलनाडो, दमन‍ ओर‌-देव ने कुछ तबदीलीयों की तजवीज़ पेश की है।