पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव में काम करने का आरोप लगाते आज कहा कि प्रदेश में वे खासतौर से कानून व्यवस्था की स्थिति को ठीक करने के मामले में विफल साबित हुए हैं।
यहां आज पत्रकारों से राजद नेताओं एक लडकी के साथ कथित दुष्कर्म मामले में आरोपी राजबल्लभ यादव, सीवान जिला के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के बाद वहां की जेल से भागलपुर जेल हस्तानांतरित किए गए मो. शहाबुद्दीन का जिक्र करते हुए मांझी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार दबाव में हैं इसलिए वे कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि नीतीश किसके दबाव में हैं, मांझी ने यह खुलासा करने से इंकार करते हुए कहा कि इस बारे में सभी जानते हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 से 2013 तक ठीक से सरकार चलायी पर अचानक क्या हो गया कि उनके हाथ से चीजें फिसलती जा रही हैं।
मांझी ने कहा कि शासन चलाने का इतना लंबा एवं पुराना अनुभव रखने वाले नीतीश कुमार को और भी बेहतर करना चाहिए पर वे ‘नाकारा’ साबित हो रहे हैं।
उन्होंने बिहार में बढते अपराध को प्रदेश की महागठबंधन सरकार के संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यही उचित समय है यहां राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने पर अगर केंद्र ऐसा नहीं करती है तो यह इस प्रदेश की जनता के साथ अन्याय होगा।
बिहार की महागठबंधन सरकार में शामिल जदयू और राजद के बीच जारी वाकयुद्ध को उनके बीच का अंदुरूनी मामला बताते हुए कहा कि हमलोगों ने पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के समय ही इसे अनैतिक और अपवित्र गठबंधन बताया था जो कि अपने हित साधने के लिए किया गया तथा यह आज साबित हो रहा है।
मांझी ने अनुसूचित जाति के अधिकारों का हनन करने तथा उनकी प्रोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे इस समुदाय के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति को सीमित करने के साथ तांती समुदाय को अब अनुसूचित जाति समुदाय में शामिल कर लिया है।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर नीतीश के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
(भाषा)