निपाह वायरस की चपेट में आने से जैसे-जैसे मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। वैसे-वैसे लोगों के मन में इस वायरस के लिए डर भी फैलता जा रहा है। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें नर्सों का लोगों ने बहिष्कार किया है वहीं श्मशान घाट भी वायरस की वजह से मृत लोगों का अंतिम संस्कार करने से बच रहे हैं। बुधवार को कोझीकोड के पेरब्रा तालुक अस्पताल की एक नर्स जैसे ही बस में चढ़ी सभी यात्रियों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया। जिसके बाद मजबूरी में उसे उतरना पड़ा।
रिक्शा चालक नर्सों को ले जाने से इंकार कर रहे हैं। दूसरे मामले में नडक्कावू पुलिस ने गुरुवार को दो कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है जिन्होंने मावूर रोड पर बने श्मशान घाट में वायरस की वजह से मरे अशोकन नाम के शख्स की बॉडी का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। जिला अस्पताल में निपाह से पीड़ित मरीजों का इलाज हो रहा है और जो मरीजों के संपर्क में हैं उन्हें अलग रखा गया है। कोझीकोड के बहुत से अस्पतालों में निपाह से पीड़ित लोगों का इलाज चल रहा है।
डॉक्टर जयश्री वासुदेवन ने एक जागरुक अभियान की दरकार बताते हुए कहा, लोग डरे हुए हैं और डर की वजह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। समाजशास्त्रियों का कहना है कि लोग डर और अपने परिवार को इस वायरस की चपेट में आने से रोकने के लिए इस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं। समाजशास्त्री बेबी शीरीन ने कहा, जो कुछ अभी हो रहा है वो जागरुकता की वजह से है। हम लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर इस वायरस की चपेट में आने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बारे में बहुत सारी गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं।