निरक्षर को अब नहीं मिलेंगे ड्राइविंग लाइसेंस, कोर्ट ने रद्द करने का दिया आदेश

नई दिल्ली : राजस्थान उच्च न्यायालय ने निरक्षर व्यक्तियों को जारी किए गए सभी लाइट मोटर व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द करने का आदेश दिया है। यह आदेश एक रिट याचिका में पारित किया गया है जो एक व्यक्ति द्वारा सड़क पर ट्रांस्पोर्ट वाहन चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए दायर किया गया था। उसे ये लाइसेंस हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए तकरीबन 13 साल पहले जारी किया गया था।

इस याचिका पर विचार करते समय, बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता निरक्षर है, बावजूद इसके उसे ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान किया गया था। जिसके बाद बेंच ने अपनी राय व्यक्त की कि, मोटर वाहन नियमों को न केवल उन व्यक्तियों के लाभ के लिए तैयार किया जाना चाहिए जो लाइसेंस चाहते हैं, बल्कि उस जनता को भी ध्यान में रखना चाहिएं जो सड़कों का उपयोग कर रही हैं।

न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की पीठ का अवलोकन है कि, किसी अनपढ़ व्यक्ति को किसी भी तरह के वाहन चलाने के लिए लाइसेंस जारी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि वह पैदल यात्रियों के लिए वास्तव में एक खतरा हो सकता है। कोर्ट का मानना है कि वो निरक्षर होने के नाते उक्त व्यक्ति सड़क के संकेतों और लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए गए बोर्डों पर लिखे गए नोटिस को आसानी से समझ नहीं सकता है।

अदालत ने दो-पृष्ठ के फैसले में आदेश दिया कि, याचिकाकर्ता और इसी तरह के व्यक्तियों को जारी किए गए हल्के मोटर वाहनों के लाइसेंस को भी वापस लेना चाहिए। राज्य परिवहन प्राधिकरणों को निर्देश दिए गए थे कि वे इस संबंध में उचित निर्देश जारी करें और दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए कार्रवाई भी सुनिश्चित करें

सरकार को एक महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। यहां पर ये ध्यान देने की बात है कि, मोटर वाहन अधिनियम या केंद्रीय मोटर वाहन नियम के अनुसार हल्के मोटर वाहनों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने के लिए किसी भी तरह के न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अब तक अनिवार्य नहीं किया गया है। न्यूनतम शैक्षिक आवश्यकता केवल परिवहन लाइसेंस के लिए निर्धारित है। इसके अनुसार उक्त व्यक्ति को कक्षा सातवीं में पास होना चाहिए।

कोर्ट का यह फैसला कई लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है। जानकारों का मानना है कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो कि निरक्षर हैं और उनके पास हल्के मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस हैं। वहीं न्यायालय ने इस बारे में भी कोई डाटा उपलब्ध नहीं कराया है कि आखिर कितनी दुर्घटनाएं अनपढ़ ड्राइवरों के कारण हुईं हैं।