निर्मल बाबा की पेशगी ज़मानत की दरख़ास्त पर फ़ैसला महफ़ूज़

एक मुक़ामी (स्थानीय) अदालत ने आज ख़ुद साख़ता(ढोंगी) साधू निर्मल बाबा की पेशगी ज़मानत की दरख़ास्त पर अपना फ़ैसला महफ़ूज़ कर दिया। ये दरख़ास्त धोका दही और जाल साज़ी के एक मुक़द्दमा में मुतवक़्क़े गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ पेशगी ज़मानत के हुसूल के मक़सद से अदालत में दाख़िल की गई थी ।

डिस्ट्रिक्ट जज संजय कुमार ने पेशगी ज़मानत की निर्मल बाबा की दरख़ास्त पर अपना फ़ैसला महफ़ूज़ कर लिया । जबकि उन के मुशीर ( सलाहकार) क़ानूनी देव नारायण सेन और वकील इस्तिग़ासा लक्ष्मी नारायण के दलीलों की समाअत ( सुनवाई) मुकम्मल ( पूरी) हो गई ।

निर्मल बाबा ने पेशगी ज़मानत की दरख़ास्त आरा की अदालत में पटना हाईकोर्ट के हालिया हुक्मनामा के पेशे नज़र दाख़िल की थी जिस में उन के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट मंसूख़ किया गया था लेकिन पुलिस की जानिब से नुमाइंदगी पर एक शख़्स को गिरफ़्तारी की इजाज़त दी गई थी जिस ने मुबय्यना ( कथित) तौर पर काबिल ताज़ीर जुर्म किया था और क़ानून की नाक़ाबिल ज़मानत दफ़आत के तहत गिरफ़्तारी की इजाज़त दी गई थी ।

पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि जब भी कोई गिरफ़्तारी नागुज़ीर ( जरूरी) हो जाए तो तहक़ीक़ाती ओहदेदार मुल्ज़िम को क़ानून की दफ़आत ( Act) के मुताबिक़ गिरफ़्तार कर सकता है । आरा ज़िला के मुतवत्तिन ( निवासी) राकेश कुमार सिंह ने साधू के ख़िलाफ़ फ़ोर्ब्स गंज पुलिस स्टेशन में साधू के ख़िलाफ़ 21 अप्रैल को मुक़द्दमा दर्ज करवाते हुए इल्ज़ाम आइद किया कि इसके मआशी मसाइल ( आर्थिक समस्यायें) बाबा ने हल नहीं किए हालाँकि उन्होंने इस का वायदा करते हुए एक हज़ार रुपय अपने बैंक एकाउंट में जमा करा लिए थे |