निहत्थे फ़िलिस्तीन नौजवान को गोली मारने वाला इज़रायली सैनिक दोषी क़रार

एक इज़राइल सैनिक जिसने ज़मीन पर स्थिर पड़े फिलिस्तीनी युवक को गोली मारी थी, को हत्या के जुर्म में तेल अवीव सैन्य अदालत ने दोषी पाया है।

21 वर्षीय अब्दुल फतेह अल-शरीफ को उस समय गोली मारकर घायल कर दिया गया था जब पिछले साल उसने इजराइली सैनिक पर वार कर उसे घायल किया था।

जब वो ज़मीन पर लेटा हुआ था, तब हवलदार एलोरा अज़ारिआ ने वहां आकर उसके सिर पर गोली मार दी। गोली मारने का यह दृश्य वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया और व्यापक रूप से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा इसे साझा किया गया था।

महीनों से विवादास्पद परीक्षण चल रहा था जिसमें हवलदार अज़ारिआ की मनोस्थिति पर ध्यान दिया गया था। हवलदार अज़ारिआ को यह पता था कि उनका उस फिलिस्तीनी हमलावर को गोली मारने के कारण उन्हें अपनी ज़िन्दगी से हाथ धोने पर मजबूर कर सकता है और यह भी कि वह हमलावर किसी भी प्रकार से किसी के लिए खतरा नहीं था।

न्यायमूर्ति माया हेलर ने हवलदार के खुद की रक्षा में गोली चलाने के तर्क को ख़ारिज कर दिया। तीन सदस्यीय पैनल ने पाया कि इज़राइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने सेना के प्रोटोकॉल के अनुसार कार्य नहीं किया और कहा कि उनका दावा कि वह घटना के दौरान खतरा महसूस कर रहे थे, उचित नहीं है।

हत्या में 20 साल तक जेल की सजा दी जाती है। हवलदार अज़ारिया को सजा अगली तारीख पर सजा सुनाई जाएगी। वे सैन्य न्यायालय मे दोनों दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। अदालत के बाहर खड़े हवलदार अज़ारिआ के समर्थन में आये लोग इस निर्णय से बहुत निराश थे।

अज़ारिया आईडीएफ के पहले सदस्य हैं जिन्हें दोषी घोषित कर 12 साल की सजा सुनाई गयी है। निर्णय के आने से पहले सभी उच्च स्तर के नेताओं जिनमें न्यायाधीश नेता अयलेट शाकेद और शिक्षा मंत्री नफ्ताली बेन्नेट शामिल हैं जिन्होंने 20 वर्षीय हवलदार को माफ़ी देने की मांग की थी। रक्षा मंत्री अविग्डोर लिबरमैन ने इस निर्णय को एक ‘कठिन फैसले’ के रूप में वर्णित किया और कहा कि जिन लोगों को यह निर्णय पसंद नहीं आया है वे फैसले का सम्मान करें और शांति बनाए रखें।