निज़ाम क़ानूनी तालीम में फ़ील-फ़ौर बड़े पैमाने पर तबदीलीयों की ज़रूरत

हैदराबाद 17 अगस्त:मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून डी वी सदानंद गौड़ा ने कहा कि हिन्दुस्तान में हमेशा ही दुसरे निसाबों के मुक़ाबले क़ानूनी तालीम को एहमीयत नहीं दी गई।

वज़ीर-ए-क़ानून ने नलसार यूनीवर्सिटी आफ़ ला के 13 वें जलसा तक़सीम अस्नाद से ख़िताब के दौरान कहा कि क़ौमी ला कॉलेजस के ख़ुतूत-ओ-मयार के मुताबिक़ मलिक के दुसरे कॉलेजों में भी क़ानून की दरस-ओ-तदरीस की जानी चाहीए और इस को मज़ीद अमली बनाया जाना चाहीए।

सदानंदा गौड़ा ने कहा कि क़ानूनी तालीम अगरचे एक इंतेहाई अहम शोबा है लेकिन मुझे शुबा हैके आया हम इस को इसकी मुसतहक़ा एहमीयत दे भी रहे हैं? मेरा ये तास्सुर हैके हिन्दुस्तान में हमेशा ही क़ानून तालीम को इसकी मुस्तहिक़ एहमीयत नहीं दी गई और बड़ी हद तक ये सिलसिला आज भी जारी है।

उन्होंने कहा कि ज़रूरत इस बात की हैके मुल्क भर में नेशनल ला स्कूलस से हट कर दुसरे ला कॉलेजस में राइज तदरीस का तरीका-ए-कार फ़ील-फ़ौर तबदील किया जाये।

लिहाज़ा उन ला कॉलेजस के तरीक़ा दरस-ओ-तदरीस को भी नेशनल ला स्कूलस के मयार-ओ-तरीका-ए-कार के मुताबिक़ बनाया जाये ।वज़ीर-ए-क़ानून ने ला ग्रेजूएटस को मश्वरह दिया कि वो महिज़ कॉरपोरेट इदारे से वाबस्तगी इख़तियार करते हुए क़ानूनी पैरवी से राह-ए-फ़रार इख़तियार ना करें।

सदानंदा गौड़ा ने कहा कि अगर आप क़ानूनी पैरवी और प्रैक्टिस से राह-ए-फ़रार इख़तियार करेंगे तो हर उस चीज़ पर मनफ़ी असर ज़हर होंगे जो (चीज़)हम हिन्दुस्तान में क़ानून की प्रैक्टिस को बेहतर बनाने के लिए कर रहे हैं।

तेलंगाना के वज़ीर इमकना क़ानून-ओ-इंडो मिनट्स इंदिरा किरण रेड्डी जस्टिस दिलीप बाबा साहिब भोस्ले कारगुज़ार चीफ़ जस्टिस हैदराबाद हाईकोर्ट फ़ैज़ान मुस्तफ़ा-ओ-चांसलर नलसार यूनीवर्सिटी आफ़ ला ने भी ख़िताब किया।