निज़ाम दौरे हुकूमत तेलंगाना पसमांदगी की अहम वजह

हैदराबाद 30 जून: कहते हैं सियासतदानों के क़ौल-ओ-फे़अल का कोई भरोसा नहीं वो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं। कभी उस की टोपी इस के सर पर डाल दी तो कभी सर पर टोपी पहन कर अवाम को लुभा लिया। लेकिन इन दिनों हमारे चीफ़ मिनिस्टर के चंद्रशेखर राव‌ के ताल्लुक़ से कुछ और ही ख़्याल किया जा रहा है।

उनके दोहरे मौक़िफ़ से परेशान मुस्लिम अक़लियत अब उनकी नीयत पर भी शक करने लगी है। के सी आर के वादों और दावओं में फ़र्क़ से मुस्लिम अक़लियत तशवीश का शिकार है। के सी आर की सियासी सलाहीयत और सियासी बसीरत के चर्चा आम हैं। क़ाबिलीयत, इन्क़िलाबी कैफ़ीयत , और मुख़ालिफ़ीन को अपने अंदाज़ में जवाब देने के मुआमले में सियासी मैदान में हर मुख़ालिफ़ उनकी सलाहीयतों का मोतरिफ़ है लेकिन अब तेलंगाना की अवाम उनके दोहरे मौक़िफ़ से परेशान हैं और उनकी नीयत पर भी शक करने लगे हैं।

चूँकि अक्सर सियासी महाज़ों और शहि नशीन पर निज़ाम हैदराबाद की सराहना और निज़ाम दौरे हुकूमत की तारीफ़ के पुल बांधने वाले चीफ़ मिनिस्टर तहरीरी तौर पर निज़ाम के मुख़ालिफ़ तो नहीं? चूँकि उन्होंने आलमी बंक को रवाना की गई दरख़ास्त मकतूब में निज़ाम दौरे हुकूमत को तेलंगाना की पसमांदगी की अहम वजह बताया है।

मशहूर तेलुगु रोज़नामा आंध्र ज्योति की रिपोर्ट के मुताबिक़ तेलंगाना हुकूमत की तरफ से वर्ल्ड बैंक को पेश करदा दरख़ास्त में 5अज़ला में बहुत ज़्यादा ग़रीबी को पेश किया गया है और उन 5अज़ला के बिशमोल कल 10 अज़ला में तरक़्क़ी ना होने की अहम वजह निज़ाम दौरे हुकूमत के ज़मींदारी और जागीरदारी निज़ाम को बताया गया है।

हुकूमत की दरख़ास्त के मुताबिक़ 10 फ़ीसद अवाम देही सतह पर शदीद माली परेशानी का शिकार हैं और हुकूमत इस बात का भी एतेराफ़ करती हैके फ़ाक़ा की अम्वात पेश आई।

हुकूमत ने एक तहक़ीक़ाती-ओ-मालूमाती रिपोर्ट का भी हवाला दिया और बताया गया हैके 1993-94 से साल 2004-05 तक तेलंगाना अज़ला में सिर्फ़ दौलत मंदों ने तरक़्क़ी की और तेलंगाना के अज़ला में 150 मंडल शदीद ग़ुर्बत का शिकार हैं जहां तालीम , तलब , शख़्सी आमदनी , रोज़गार , सेहत जैसे संगीन मसाइल पाए जाते हैं।

निज़ाम हुकूमत के ताल्लुक़ से के सी आर का अमली मौक़िफ़ मुसलमानों में तशवीश का बाइस बना हुआ है चूँकि के सी आर मुसलमानों की पसमांदगी की दहाई देते हुए मुसलमानों की तरक़्क़ी के लिए कई वादे करचुके हैं। तेलंगाना चीफ़ मिनिस्टर के मुताबिक़ जागीरदार और ज़मींदार निज़ाम दौरे हुकूमत का मज़बूत हिस्सा थे जिस के सबब तरक़्क़ी मानद पड़ गई और इस दौरान साहिली आंध्र और राइलसीमा का तक़ाबुल करें तो वहां तरक़्क़ी तेलंगाना से ज़ाइद हुई।

कई मर्तबा तन्क़ीदों और मुख़ालफ़तों का सामना करने के बावजूद निज़ाम के ताल्लुक़ से के सी आर की हमदर्दी और निज़ाम की तारीफ़ को हक़पसंदी तसव्वुर किया जाता था ताहम अब अमली शक्ल में निज़ाम से के सी आर की मुख़ालिफ़त तशवीश का बाइस बनी हुई है।

दानिश्वरों और मुस्लिम क़ौम के रहनुमाओं ने फ़िक्र का इज़हार करते हुए के सी आर की नीयत पर भी शकूक-ओ-शुबहात काइज़हार किया है चूँकि वादे तो वादे होते हैं लेकिन अमली इक़दामात में वादों की मुख़ालिफ़त में इक़दामात हैरतनाक अमल है।

नुमाइश हैदराबाद की इफ़्तेताही तक़रीब हो या फिर जामिआ निज़ामीया की सद साला तक़ारीब इन दोनों मौक़ों पर के सी आर की निज़ाम हमदरद पालिसी और आलमी बैंक को रवाना करदा रिपोर्ट में निज़ाम की मुख़ालिफ़त का मौक़िफ़ उनके दोहरे रूप और हक़ीक़ी चेहरे को साबित करने के बराबर है।