नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोनों एक दूसरे के हरीफ़ नज़र आते हैं और एसा मालूम होता है कि अलाहदा अलाहदा इंतेख़ाबी जलसों से नवाडा में ख़िताब के दौरान दोनों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ तलवारें खींच ली थीं। लेकिन राष्ट्रीय जनतादल के सदर लालू प्रसाद ने दोनों को गहरे दोस्त क़रार दिया जो राय दहनदों को बेवक़ूफ़ बनाने के लिए बरसर-ए-आम लड़ रहे हैं।
उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए इल्ज़ाम आइद किया कि दोनों एक दूसरे के साथ तआवुन कररहे हैं और अवाम अब उन की हक़ीक़त समझने लगे हैं। ईसी लब-ओ-लहज़े में लालू प्रसाद ने अवाम से ख़ाहिश की कि वो सियासतदानों पर जूते फेंकने से गुरेज़ करें क्योंकि वो इस के मुस्तहिक़ नहीं हैं।
उन्होंने कहा वोट की चोट मॉरो उन पर, जूते चप्पल से अभीननदन (इस्तेक़बाल) मत कीजिए। वो रियासतगीर सतह पर आर जे डी की इंतेख़ाबी मुहिम के लिए रथ यात्रा के आग़ाज़ के मौक़े पर ख़िताब कररहे थे। उन्होंने कहा कि 1990 की बी जे पी क़ाइद एल के आडवाणी की रथ यात्रा याद दिलाई और कहा कि उस वक़्त वो बरसर-ए-इक्तदार थे।
अगर नरेंद्र मोदी भी रथ यात्रा निकालते तो वो उन्हें भी रोक देते। उन्होंने नीतीश कुमार पर इल्ज़ाम आइद किया कि उन्होंने आडवाणी की जन चेतना यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया था। 11 अक्टूबर 2011 को जय प्रकाश नारायण की पैदाइश सिताब दियारा से ये यात्रा रवाना हुई थी।
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि उनकी पार्टी के इंतेख़ाबी मंशूर में प्राइमरी स्कूल के टीचर्स, आंगन वाड़ी कारकुन, सेहत कारकुन, होम गार्ड्स और दीगर तमाम को तर्जीह दी जाएगी जिन्होंने मुतालिबात करते हुए लाठीयां खाई हैं।