नीतीश कुमार घरेलू क्षेत्र में भी आरक्षण समर्थक

पटना: मुख्यमंत्री बिहार नीतीश कुमार ने अनुसूचित क्षेत्रों की आबादी में वृद्धि के संदर्भ में आज नौकरियों में आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से आगे तक बढ़ाने पर जोर दिया और इस सुविधा को घरेलू क्षेत्र तक विस्तार वकालत भी की। उन्होंने केंद्र की राजग सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह जनता की आवाज को बंद करने प्रतिबद्ध है कि जेएनयू घटना से स्पष्ट हो जाता है।

नीतीश कुमार एक समारोह को सम्बोधित कर रहें थे, जहां उन्हें के वीरामनी पुरस्कार बराए 2015 से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण (50 प्रतिशत की सीमा) पर स्वीकार है लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर बहस होनी चाहिए। कोटा बढ़ाना चाहिए। अगर एसी आबादी बढ़ रही है तो आरक्षण का कोटा भी बढ़ना चाहिए जैसे तमिलनाडु में हुआ जहां यह 69 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि कानून अपने समय के माहौल को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। लेकिन बाद में यह आवश्यकता के अनुसार बदलती हैं। मुख्यमंत्री नीतीश ने बिहार सरकार की ओर से शराब पर नया कानून बनाए जाने की मिसाल पेश की, जिसने 1915 ई। के कानून की जगह ली है। केंद्र सरकार पर अपनी आलोचना में जद (यू) नेता ने कहा कि आम चुनाव में एनडीए ने विकास के नाम पर वोट मांगे, लेकिन आजकल वह ” लव‌ जिहाद ‘, मांस और’ भारत माता की जय ‘जैसे मुद्दों उठाते हुए जनता को मूर्ख बना रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि चुनावी वादे भूल कर दिए गए। और सवाल उठाया कि रोजगार देने के वादे का क्या हुआ?