2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार की नीतीश सरकार शराबबंदी सबंधी कानून में बार-बार फेर बदल कर रही है। बिहार विधानसभा में सोमवार को नया शराबबंदी कानून पारित हो गया।
नए कानून में शराबबंदी के कई प्रावधानों को नरम बनाया गया है। इस कानून को पेश करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी गरीब आदमी के लिए लाया गया था।
गरीब लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा शराब खरीदने पर खर्च कर रहे थे। घरेलू हिंसा बढ़ गई थी। सुशासन बाबू ने कहा कि उन्होंने शराबबंदी कानून गरीबों की बेहतरी के लिए लागू किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश सरकार ने पिछले दिनों बिहार में शराबबंदी को लेकर कानून में कई अहम बदलावों को कैबिनेट मंजूरी दी थी।
इन बदलावों के बाद एक समय वाकई में काफी सख्त दिखते इस कानून की धार अब पहले जैसी नहीं रह गई है। कभी शराब को लेकर काफी सख्ती दिखाने वाले नीतीश की इस नई नरमी के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं।
वहीं शराब बंदी को लेकर सुशासन बाबू का नरम पड़ना विपक्षी दलों को हमलावर होने का भी एक जरिया बनता जा रहा है। वहीं इन आरोपों पर भी मुहर लगती दिख रही है कि कानून को दुरुपयोग हो रहा था।
दरअसल विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप था कि शराबबंदी की आड़ में दलितों और पिछड़ों को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अबतक 1.5 लाख लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। नीतीश कुमार ने आबकारी ऐक्ट के दुरुपयोग की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए कानून में बदलाव का संकेत दिया था।