लोकसभा इंतिख़ाब की अमल खत्म की तरफ बढ़ रही है। इसके साथ ही सियासी पारा नीचे आने की उम्मीद थी। लेकिन, बिहार में दूसरे सियासी घमासान की जमीन तैयार हो गई है। नीतीश हुकूमत के मुस्तकबिल को लेकर इक्तिदार जदयू और भाजपा के लीडर अपने-अपने दावे और तर्कों के तीर लेकर मैदान में उतर आए हैं।
भाजपा के सीनियर लीडर सुशील कुमार मोदी ने पीर को कहा-जदयू के 50 से ज़्यादा एमएलए भाजपा के राब्ते में हैं। ये वजीरे आला नीतीश कुमार से नाराज हैं। ये एमएलए लोकसभा इंतिख़ाब में भाजपा उम्मीदवारों की मदद भी कर रहे हैं। पर, भाजपा नीतीश हुकूमत गिराने का कोई कोशिश नहीं करेगी। यह हुकूमत खुद अपने आप ही गिर जाएगी।
वहीं जदयू का दावा है कि हुकूमत पूरी तरह अकसरियत में है, जबकि भाजपा का कहना है कि हुकूमत अकसरियत में नहीं है। दोनों पार्टियों के छुटभइये से लेकर आला लीडर तक एक-दूसरे के दर्जनों एमएलए के राब्ते में होने का दंभ भी भर रहे हैं। कुछ दिनों पहले साबिक़ वज़ीर और भाजपा लीडर अश्विनी चौबे ने तो यहां तक कह डाला कि 21 मई के बाद नीतीश हुकूमत धरासाई हो जाएगी।