नीलामी का माल मुसलमान खरीद सकता है, लेकिन इन बातों का रखना होगा ध्यान!

शरई काउंसिल ऑफ इंडिया में उलमा-ए-कराम ने यह फैसला सुनाया है कि मुसलमान भी नीलामी का माल खरीद सकते हैं। दरअसल, बैंक से कर्ज लेते समय कर्जदार शख्स लिखित में अपनी सहमति जताते हैं कि लोन अदायगी न करने की सूरत में उनकी प्रॉपर्टी जब्त कर कर्ज अदा कर लिया जाए।

हां, अगर किसी केस में कर्जदार ने अपने माल के जब्ती की सहमति न दी हो, तो ऐसी नीलामी में माल खरीदने से पहले मालिक की इजाजत लेनी होगी। बगैर अनुमति माल खरीदना नाजायज होगा।

मथुरापुर के इस्लामिक स्टडी सेंटर (जमिआतुर्रजा) में शरई काउंसिल ऑफ इंडिया के 15वें सालाना फिक्ही सेमिनार के तीसरे दिन यह फैसला आया है। इससे पहले डिजिटल करेंसी में बिटक्वाइन, वन क्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी खरीदने को नाजायज करार दिया जा चुका है।

इसके अलावा मस्जिदे हरमे शरीफ और मस्जिदे नबवी समेत देश-दुनिया की सभी बड़ी मस्जिदों में नमाजियों के सजदे की जगह छोड़कर आगे से गुजरने को गुनाह की श्रेणी से बाहर रखा गया है। वहीं, छोटी मस्जिदों में मस्जिद की अंदरूनी दीवार तक नमाजियों के आगे से गुजरने की इजाजत नहीं दी गई है।

इन्हीं तीन मसलों को लेकर देशभर से करीब सौ उलमा-ए-कराम सेमिनार में जुटे थे। हर एक मसाइल पर रोजाना व्यापक बहस हुई। इसके बाद दरगाह आला हजरत के जानशीन मुफ्ती आजम-ए-¨हद, मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां ने इनकी तस्दीक करते हुए अपनी मुहर लगाई। शहर काजी मुफ्ती असजद रजा खां ने फैसलों को पढ़कर सुनाया।