नुमाइंदा उर्दू अदीब-ओ-सहाफ़ी शौकत अज़ीम नहीं रहे

नई दिल्ली, 14 अक्तूबर (यू एन आई) मग़रिबी बंगाल के नुमाइंदा उर्दू अदीब-ओ-सहाफ़ी शौकत अज़ीम का कल रात गए उन के आबाई शहर चापदानी में दिल का दौरा पड़ने से इंतिक़ाल हो गया। वो 52 बरस के थे। ये इत्तिला कुन्बे के ज़राए ने दी है।

पसमानदगान में अहलिया के इलावा एक बेटी और चार बेटे हैं। मरहूम को ज़ियाबीतस का आरिज़ा लाहक़ था। सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत पर कल शाम ही उन्हें अस्पताल मुंतक़िल किया गया था जहां ईलाज के बावजूद वो जांबर ना हो सके।

सयासी तौर पर मार किसी नज़रिए के हामिल शौकत अज़ीम अदीब-ओ-सहाफ़ी होने के साथ साथ मग़रिबी बंगाल के इन मादूदे चंद मुतर्जिमों में से एक थे जिन्हों नीअसरी बंगला अदब को बामहावरा उर्दू में मुंतक़िल किया था।मरहूम फ़लाही कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे।

इन की दो किताबों इंसानियत ज़िंदा है और कुरसीनामा को बिहार उर्दू अकैडमी ने ऐवार्ड से नवाज़ा था। मरहूम मग़रिबी बंगाल उर्दू अकैडमी के कारकुन की हैसियत से सहि माही जरीदे रूह अदब से वाबस्ता थे मुख़्तलिफ़ उर्दू अख़बारात को भी वो अपनी ख़िदमात पेश करते आए थे।

शौकत अज़ीम की बेवक्त मौत पर मग़रिबी बंगाल उर्दू अकैडमी के वाइस चेयरमैन डाक्टर मनाल शाह कादरी और डिप्टी सैक्रेटरी निशात आलम ने दिल्ली ताज़ियत का इज़हार किया है। प्रोफ़ैसर क़ैसर शमीम , डाक्टर नईम अनीस , नौशाद मोमिन , फ़हीम फ़ज़ल और मुश्ताक़ आज़मी के इलावा कलकत्ता,होड़ा, हुगली , 24 परगना और मुर्शिदाबाद के दीगर क़लमकारों ने इस बेवक़त सानिहा पर गहरा सदमा ज़ाहिर किया है।