नेकियों का हुक्म देना और बुराई से रोकना हर मुसल्मान की अहम ज़िम्मेदारी

मुस्लिम गर्लज़ एसोसी एषण की इस्लाम परीचय‌ क्लासें , श्रीमती रफीक़ा बेगम का संबोधन‌
हैदराबाद । इस्लाम के दूसरे फ़राइज़ जैसे नमाज़ , रोज़ा , हज , ज़कात‌ के बाद कोई दीन का अहम सुतून है तो वो है जिहाद । जिहाद का मस्द्दर जहद है । जिस के मायना किसी मक़सद को पाने के लिए अंथक जद्द‍ ओ‍ जहद, सई करना(बहुत ज्यादा महनतओर कोशीश) है । इन ख़्यालात का इज्हार‌ मुहतरमा रफीक़ा बेगम ने मुस्लिम गर्लज़ एसोसी एषण की जानिब से मंगल हॉट में जारी तआरुफ़ इस्लाम क्लासों की तालिबात(वीधार्थीयों) को मुख़ातब करते हुए किया ।

उन्हों ने कहा कि लोगों को अल्लाह की तरफ़ बुलाना , नेकियों और भलाइयों का हुक्म देना और बुराईयों को मिटाना , हक़ बात को मिन व अन(जुं क तूं) लोगों तक पहुंचाना ज़बान का जिहाद कहलाता है ।

उन्हों ने कहा कि नबी करीम स.व. ने फ़रमाया एक इमान लाने वाले के लिए बुराईयों को गवारा करना मुम्किन नहीं तो कम अज़ कम उसे दिल में बुरा समझे अगर कोई मुसल्मान एसा दिल भी नहीं रखता तो अल्लाह-ओ-रसूल के नज्दीक वो मुस्ल्मान भी नहीं है ।

मुस्लिम गर्लज़ एसोसी एषण की जानिब से ख़वातीन तालिबात के लिए गरमाई तातीलात(समर वेकेशन) में शहर हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर जारी तआरुफ़ इस्लाम क्लासों में मुहतरमा जमीला बेगम , मुहतरमा माह जबीन , मुहतरमा सल्मा फ़ातिमा , मुहतरमा तबस्सुम फ़ातिमा , मुहतरमा मैमूना मिर्ज़ा , मुहतरमा वासिआ बुशरा , मुहतरमा रैहाना सुलताना , मुहतरमा रफ़अत बेगम , मुहतरमा शमीम बेगम , ख़ैर उन्निसा मुहतरमा शाहिदा बेगम , मुहतरमा मुफ़ीज़ा फ़ातिमा , मुहतरमा फरहाना बेगम , मुहतरमा सालिहा बेगम , मुहतरमा सोफिया फ़ातिमा , मुहतरमा मैमूना सुलताना , मुहतरमा मारिया , डाक्टर ज़किया सुलताना , इमराना बेगम , मुहतरमा रूही ख़ान , मुहतरमा अस्मा-ए-रहीम और दीगर कारकुनान‌ मुख़ातब कर रही हैं ।

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