निज़ामाबाद: २० दिसम्बर: ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) मदारिस के उल्मा किराम उस क़ौम के इन तबक़ा को सँभाले हुए हैं जो अभी मुकल्लिफ़ नहीं हैं और जो मुकल्लिफ़ हैं इन को सँभालने की ज़िम्मेदारी उन के ऊपर और ज़्यादा हो जाती है। उल्मा में सादगी ज़रूरी है। अदम सादगी कब्र की अलामत हुआ करती ।इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना मुफ़्ती नवाल अल रहमान ख़तीब मस्जिद ए नूर शिकागो ने तब्लीग़ी इजतिमा के मौक़ा पर उल्मा से ख़िताब करते हुए किया और उन्होंने कहा कि आप हज़रात पर दोहरी ज़िम्मेदारी है चूँकि आप लोग वारिसैन अंबिया हैं आप के ज़िम्मा जो काम किया गया है वो कोई दूसरा नहीं कर सकता क्योंकि अल्लाह ने आप को मंसब इल्म अता फ़रमाया।उन्होंने मौलाना इमरान ख़ान साहब भोपाली का मलफ़ूज़ नक़ल करते हुए कहाकि दावत के काम के साथ अल्लाह की ग़ैबी मदद है और उन्हों ने ये भी फ़रमाया कि सारी मख़लूक़ अल्लाह का कुम्बा है इस के साथ हमदर्दी करना एक आलम का ख़ासा और इस की मंसबी ज़िम्मेदारी है ।
नेक और बद लोग सारी दुनिया में फैले हुए हैं आप अगर इन तक पहुंचेंगे तो उन की बदी नेकी में तबदील हो सकती है वो ज़िम्मेदारी जो आप लोग चहार दीवारी में कर रहे हैं वो भी बहुत ज़्यादा अहम है लेकिन इस चहारदीवारी से बाहर निकल कर अवामुन्नास तक पहुंचने की ज़िम्मेदारी की इफ़ादीयत कुछ और है।
इस मौक़ा पर शहर के उल्मा, हुफ़्फ़ाज़ की कसीर तादाद मौजूद थी।इस के इलावा दो रोज़ा तब्लीग़ी इजतिमा के मौक़ा पर मौलाना आबिद ख़ान ने ख़िताब करते हुए कहा कि आज उम्मत को मस्जिद की नुमाइंदगी करने की ज़रूरत है। क्योंकि सहाबा इकराम ने बाज़ारों और बाहर की दुनिया में हर मौक़ा पर मस्जिद की नुमाइंदगी की जिस की बिना पर सारी दुनिया उन के नक़श-ए-क़दम पर चलते हुए ईमान में दाख़िल हो गई ।आज हम मस्जिद में आकर भी बाज़ार की नुमाइंदगी कर रहे है यह बहुत बड़े अफ़सोस की बात है। इस मौक़ा पर तक़रीबन ईदगाह का मैदान तंग दामिनी का शिकवाह कर रहा था।इस रूह प्रवर मंज़र को देख कर ग़ैर मुस्लिमीन भी मुतास्सिर होते हुए देखे गए ।इस मौक़ा पर बलदिया पुलिस और ज़िला इंतिज़ामीया की जानिब से काफ़ी वसीअ इंतिज़ामात किये गये |