नेता नहीं चाहते नए राजनितिक नेता उभरे : कन्हैया कुमार

” मैं किसी भी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं बनूँगा और किसी भी नए दल की शुरुवात नहीं करूँगा। मैं एक शोध विद्यार्थी हूँ और मैं पढ़ाना चाहता हूँ, लेकिन मैं पूरी कोशिश करूँगा की सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनो के बीच एक संघटनात्मक कड़ी बना सकूँ और उसके लिए छात्रों के शिक्षण संस्थानों में जीवंत चुनावो की आवश्यकता है,” जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता कन्हैया कुमार ने कहा जो शहर में कुछ कार्यक्रमो में भाग लेने के लिए आये थे।

 

उन्होंने कहा की कई राज्यो की सरकारों ने छात्र संघ के चुनावो पर प्रतिबन्ध लगा दिया है, जिनमे कर्नाटक भी शामिल है । हैरानी की बात यह है की बिहार और उत्तर प्रेदेश जैसे राज्य जहाँ के मुख्यमंत्री छात्र संघ के चुनावो से आये हैं उन्होंने भी छात्र संघ के चुनावो पर प्रतिबन्ध लगा दिया है । आज के नेता नहीं चाहते की कोई भी नया नेता उभरे और सिस्टम को चुनौती दे।

 

“देश में बहुत ही घुटन भरा माहौल हो गया है, हमारे बुनयादी अधिकार ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ पर कटौती हो रही है। छात्रों को अपने विचार प्रकट करने पर दंड दिया जा रहा है । उन्होंने जेइनयू के बायो-टेक के पहल वर्ष में भर्ती हुए नजीब खान के बारे में बात करते हुए कहा की उन्हें गायब हुए महीनो हो गए हैं परंतु अब तक उनका कोई पता नहीं चला है । दुःख की बात यह है की वो तीन एबीवीपी के छात्र जिनके साथ उनका आखरी बार झगड़ा हुआ था उनके खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही शुरू नहीं की गयी है” ।

 

“मैं और मेरे जैसे सभी छात्र नेता चाहते हैं की देश के हर शैक्षिक संस्थान में छात्र संघ के चुनाव हों। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लींगदोह समिति का भी यही सुझाव हैं” , उन्होंने कहा ।

 

श्री कुमार ने कहा “हमारे देश में सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों के बीच फासला बढ़ता जा रहा है। सामाजिक आंदोलनों के मुद्दे हमारे राजनितिक दलो के सवाल नहीं बन रहे हैं क्योंकि हमारे राजनितिक दलो का समाज के साथ संपर्क ही टूट गया है।