बरदल
मुसल्लह अफ़्वाज ख़ुसूसी इख़्तियारात क़ानून जवाबदेही से गुरेज़ का बहाना
अपनी साबिक़ हलीफ़ नेशनल कान्फ्रेंस पर तन्क़ीद करते हुए कांग्रेस ने इल्ज़ाम आइद किया कि वो ख़ुद इख़तियारी का इस्तिहसाल कररही है और कहा कि मुसल्लह अफ़्वाज ख़ुसूसी इख़्तियारात क़ानून जवाबदेही से बचने का बहाना है। कांग्रेस क़ाइद शाम लाल शर्मा ने एक जल्सा-ए-आम से ख़िताब करते हुए कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस एक बार फिर अपनी साबिक़ा लफ़्फ़ाज़ी का अहया कररही है ताकि अपनी अदम कारकर्दगी और ज़िम्मेदारी की जवाबदेही से बचने के लिए तमाम इल्ज़ाम मुसल्लह अफ़्वाज ख़ुसूसी इख़्तियारात क़ानून पर आइद कर दिया जाये ताकि रियासती अवाम की उमंगों की तकमील से क़ासिर रहने का उसे एक बहाना हासिल होजाए।
उन्होंने कहा कि ख़ुद इख़तियारी और ख़ुसूसी क़ानून ग़ैर मुताल्लिक़ मसाइल हैं। नेशनल कान्फ्रेंस ये मसाइल उठाकर अपनी इंतिशार पसंद सियासी को बेनकाब कररही है। उन्होंने कहा कि रियासत के तीनों इलाक़ों के अवाम तरक़्क़ी और ख़ुशहाली चाहते हैं उन्हें किसी भी सियासी तमाशे की कोई परवाह नहीं है चाहे वो नेशनल कान्फ्रेंस करे या कोई और।
जम्मू-कश्मीर से ख़ुसूसी इख़्तियारात क़ानून की तंसीख़ को मुस्तरद करते हुए शर्मा ने कहा कि सयान्ती मामलात और हक़ीक़ी सूरत-ए-हाल उन लोगों के इख़तियार तमीज़ी पर छोड़ दिया जाना चाहिए जो सयानत और नज़म-ओ-ज़ब्त की बरक़रारी के ज़िम्मेदार हैं।