लखनऊः देश की सरकार अपने चुनावी वादों या भाषणों में भले ही विकास और जनता की सेवा के दावे करती है लेकिन सेवा तो दूर की बात; सरकार तो देश के उन उभरते खिलाड़ियों की भी सुध नहीं लेती जो मुल्क और मुल्क के बाहर भी देश का नाम रोशन करते हैं। ऐसा ही एक किस्सा है महिमा का जिसकी ज़िन्दगी की सच्चाई सुनें तो सरकार के दावों और वादों की चौतरफा हवा निकलती नज़र आएगी।
खबर के मुताबिक शाहजहांपुर के एक गांव की कबड्डी खिलाड़ी महिमा ने अपनी हुनर और जी तोड़ मेहनत से जहाँ राष्ट्रीय लेवल पर अपने गांव का नाम रोशन किया वहीं अपने मां-बाप का सर भी फक्र से ऊंचा किया है। महिमा ने अपने हुनर से राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी में 7वां स्थान पाकर देश में हलचल पैदा कर दी थी। लेकिन आज सरकारी मदद या नौकरी न मिलने की वजह से पैसे तंगी झेल रही महिमा गांव में गोबर पाथकर अपनी ज़िन्दगी के सुनहरी साल बर्बाद करने पर मजबूर है।
ऐसा नहीं है कि उसने या उसके परिवार ने सरकार के आगे मदद की गुहार नहीं लगाई। अभी एक महीना पहले ही सीएम अखिलेश यादव से मिलकर आने वाली इस गरीब खिलाड़ी को मदद की गुहार लगाने के बाद भी सरकार से न तो कोई ट्रेनर ही मिला और न कोई आर्थिक सहायता। अपनी बेटी के जौहर पर नाज करने वाले माँ-बाप भी अब मायूस होने लगे हैं और सोचने लगे हैं कि इस देश में खिलाड़ियों की ज़िन्दगी कुछ भी नहीं है।