नोटबंदी का असर, मायें अपने बच्चों को खाली बर्तन बजाकर बहलाने को मजबूर

मालेगांव: भूके बच्चों की तसल्ली के लिए, मां ने फिर पानी पकाया देर तक: नवाज़ देवबंदी का यह शेर आज मालेगांव की स्थिति पर पूरी तरह सच साबित हो रहा है। नोटबंदी से मजदूर वर्ग में भूख से मरने की स्थिति पैदा हो गए हैं।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार नोटबंदी के इस फैसले का असर मालेगांव शहर के पावरलूम मजदूरों पर तेज़ी से दिखने लगा है। एक महीने बीत जाने के बाद भी हालात ठीक नहीं हुए हैं, मजदूरों को वेतन नहीं मिल रही है और बैंक में रखा पैसा निकालना भी मुश्किल है। गरीब मजदूर के घर का राशन बिल्कुल खत्म हो चुका है। मजदूर की पत्नियां अपने बच्चों को खाली बर्तन बजा बजाकर बहला रही हैं।

दियाना शीवार में रहने वाली शमीम पठान के घर में पिछले दो दिनों से खाना नहीं बना है। लगभग इसी तरह की स्थिति पूरे शहर में हैं। नोटबंदी के लिए इतना भयानक प्रभाव शायद ही किसी दूसरे शहर में देखने को मिले। कुछ मजदूरों ने तो वेतन न मिलने के कारण शहर भी छोड़ दिया है। कुछ मजदूर अपने मासूम बच्चों को चाय के साथ खारी और बेकरी के सूखे रोटी खिलाकर सुलाने को मजबूर हैं।