नोटबंदी ने देश में केवल व्यपार को ही नुक़सान नहीं पहुँचाया है बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों में लोकतंत्र को भी प्रभावित किया है। कुछ ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के मराठा आंदोलन में देखने को मिल रहा है। बुधवार को नागपुर में आयोजित मराठा आंदोलन मोर्चा नोटबंदी का शिकार हो गया है। आयोजकों को उम्मीद थी कि अगस्त से जारी उनके आंदोलन के इस आखरी मोर्चे में “50 लाख से एक करोड़” लोग शामिल होंगे लेकिन उनका खुद का अनुमान है कि इसमें केवल 10 लाख लोग शामिल हुए।
मराठा आंदोलन मोर्चा के कनवीनर और मीडिया सेल के अधिकारी संजय ताँबे पाटिल स्वीकार करते हैं कि नागपुर का शो फ्लॉप साबित हुआ। उन्होंने बताया, “इसकी एक वजह थी नोटबंदी और पैसों की भारी कमी। औरंगाबाद में 16 लाख आबादी पर केवल 6 एटीएम हैं और हर एटीएम के बाहर 300 लोगों की क़तार लगी है।” पिछले महीने दिल्ली में होने वाली मराठा रैली नोटबंदी के कारण रद्द करनी पड़ी थी।