२०१६ की चौथी तिमाही में रियल एस्टेट सेक्टर को ₹२२६०० करोड़ के अनुमानित राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है, जो पिछले साल के चौथी तिमाही की तुलना मे ४४% की गिरावट है। गोरतलब, है की यह गिरावट नवम्बर ८ के सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले के बाद आयी है, रियल एस्टेट कंसल्टेंसी ‘नाइट फ्रैंक इंडिया’ ने बताया।
“नवम्बर ८ को लिए गए भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले ने रियल एस्टेट बाज़ार को पूरी तरह से ठप कर दिया है”, नाइट फ्रैंक इंडिया ने अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा। इस घोषणा के बाद डेवेलोपेरो ने किसी भी नई परियोजना की घोषणा नहीं करी और ख़रीदार भी किसी भी खरीद को करने से पहले बहुत सतर्क हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के फैसले के बाद बिक्री में हुई गिरावट के कारण चौथी तिमाही में रियल एस्टेट बाज़ार को देश के आठ बड़े शहरो में ₹२२६०० करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व का नुक्सान उठाना पड़ा है।
दूसरे शब्दो में अगर सरकार ने यह फैसला नहीं लिया होता तो रियल एस्टेट के बाजार को इतना बड़ा नुक्सान नहीं झेलना पड़ता। राज्य सरकारों को भी चौथी तिमाही में स्टाम्प ड्यूटी पर नुकसान के कारण ₹१२०० करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है , रिपोर्ट में बताय गया।
जेएलएल के चेयरमैन और कंट्री हेड, अनुज पूरी ने कहा की नोटबंदी के फैसले से रियल एस्टेट बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है: कितना राजस्व नुकसान हुआ है यह बताना मुश्किल है , परंतु इस बाजार ने भावनात्मक रूप से बहुत कुछ खोया है। नोटबंदी का बहुत ही नकारात्मक प्रभाव हम पर पड़ा है ।
नाइट फ्रैंक ने कहा की चौथे तिमाही के आंकड़ो से पता चलता है की नोटबंदी का इस बाजार पर क्या प्रभाव पड़ा है, विशिष्ट रूप से तब जब रियल एस्टेट बाजार पहले ही बुरे दौर से गुज़र रहा था ।
राजस्व नुक्सान ४४% होने के साथ-साथ नयी परियोजनाओं में भी ६१% की गिरावट आयी है, नाइट फ्रैंक ने कहा ।
रिपोर्ट के अनुसार , २०१६ की चौथी तिमाही में ४०९४० इकाइयो की बिक्री के साथ यह तिमाही २०१० से अब तक के सबसे निम्न स्टार पर पहुँच गई है। २०१० मे औसत तिमाही की बिक्री ९०००० इकाइयां थी। नई योजनाओ के आंकड़े भी आश्चर्यजनक है – २०१६ की चौथी तिमाही मे २३४०० इकाइयों की बिक्री हुई, जो २०१० की चौथी तिमाही का पांचवा हिस्सा भी नहीं है ।
नोटबंदी के कारण २०१६ में कुल बिक्री राजस्व ९ % गिरावाट है यानि की २४४६८० इकाइयां जो २०१५ में २६७९६० इकाइयां था , रिपोर्ट ने कहा।