नोटबंदी के चलते रेटिंग एजेंसी फिच ने घटाया भारत का जीडीपी ग्रोथ का अनुमान

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2016-17 के लिए फिच रेटिंग ने भारत की रेटिंग घटाकर 6.9 फीसदी कर दी है जो कि पहले 7.4 फीसदी थी, लेकिन नोटबंदी के फायदों पर जारी अनिश्चितता के कारण इसमें कटौती की गई है. इससे अधिक समय के लिए लाभ की तुलना में कहीं उससे ज्यादा ही कम समय में नुकसान हुआ है.

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जनसत्ता के के मुताबिक, मंगलवार को जारी अपनी नवीनतम द्विमासिक न्यूजलेटर में फिच रेटिंग ने कहा, नोटबंदी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक विघटन कारण हमें विकास दर का पूर्वानुमान घटाना पड़ा है. इसमें आगे कहा गया, नोटबंदी इतना सकारात्मक कदम नहीं है जिससे कि सरकार के वित्तीय और मध्यम अवधि विकास दर में कोई बदलाव ला सके.

इसका असर जितने दिन जारी रहेगा, उतना ही दिन इसका अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. इसलिए फिच ने 31 मार्च को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए अनुमानित विकास दर 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया गया है. नोटबंदी से हालांकि सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई है और बैंकों की कर्ज देने की शक्ति बढ़ी है. लेकिन फिच का मानना है कि, नोटबंदी के कारण लोगों के पास नकदी की भारी कमी हो गई दूसरी तरफ किसानों के पास भी खाद-बीज खरीदने के पैसे नहीं हैं. इससे समूची आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुए और लोगों के बैंकों की कतार में खड़े होने से उत्पादक कार्य का समय भी बरबाद हुआ.

आपको बता दें कि फिच ने कहा कि नोटबंदी के पीछे जो मंशा थी, ये सीधे उसका उल्टा हो गया, इससे अधिक समय के लाभ की तुलना में कहीं उससे ज्यादा ही कम समय में नुकसान हुआ है.