नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि 50 दिन में हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन मौजूदा हालात को देखकर तो ऐसा नहीं लगता। दिन रात नोटों की छपाई होती रहे तो भी हालात सामान्य होने में कम से कम 7 महीने लगेंगे। 50 दिन में हालात सामान्य होने की बात कहना गलत है।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार उन्होंने कहा है कि नोटबंदी लागू करने से पहले मोदी ने सही सलाह नहीं लिया। चिदंबरम ने नोटबंदी को सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। चिदंबरम ने कहा है कि प्रत्येक बैंक कह रहा है कि नकदी नहीं है तो लोग 24 हजार रुपये कैसे निकालें? नकदी की किल्लत से किसान और मजदूर सबसे ज्यादा परेशान हैं। अमीरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।
चिदंबरम ने 500 रुपये के नोट बंद किए जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने सरकार से पूछा कि 500 का नोट, जो आम मुद्रा थी, इसे बंद क्यों किया गया? दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में क्या कोई 500 रुपये से कम रुपये में रह सकता है? सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि उसने 500 का नोट क्यों बंद किया।पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि लगभग दो लाख एटीएम हैं, उनमें से केवल 35% चल रहे हैं, 65% नहीं चल रहे हैं। गांव में बाजार को नकदी चाहिए, वह काम नहीं कर पा रहे हैं। यह बाजार पिछले कई दिनों से बंद हैं। मुरादाबाद का पीतल बाजार, आगरा का शू बाजार बंद है। केवल गरीबों को ही परेशानी हो रही है, अमीरों को कोई फर्क नहीं पड़ा। खोदा पहाड़, निकली चुहिया वाली कहावत सच साबित हो रही है।
इससे सजा किसानों को मिली है। लेबर वर्ग के लिए कोई काम नहीं है। दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों का रोजगार छिन गया है। नोटबंदी से अब तक 91 लोगों की मौत हो चुकी है। क्या पता ऐसा भी हो कि पहले लोगों को 2000 के नोट थमाए जाएं फिर उसे भी बेन कर दिया जाए? उन्होंने कहा, कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सलाह लेने पर इसे गुप्त रखने की योजना बिगड़ता नहीं। सरकार को कम से कम पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा से ही परामर्श करना चाहिए था। हम संसद में आचार 184 के तहत चर्चा चाहते हैं, लेकिन भाजपा को डर लगता है।