नोटबंदी: जिन्दा मुर्दा सब को करना पड़ता है नए नोटों का इंतजार

मेरठ: यूपी के मेरठ में एक ऐसा मामला देखने को मिला कि यहां बैंक खुलने का इंतजार एक लाश कर रही थी ताकि बैंक खुलने के बाद उसे कैश मिले और कफन नसीब हो. जी हां घर में रखी नकदी (बड़े नोट) बेकार हो जाने के बाद दाह संस्काबर के लिए पैसे नहीं थे.

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

वन इंडिया के ख़बरों के अनुसार, मेरठ के लालकुर्ती की हंडिया मुहल्ला निवासी 70 वर्षीय बेला की शुक्रवार को सुबह पांच बजे मौत हो गई थी परिवार दाह संस्कार के लिए पैसे जुटाता, इससे पहले उसे नई नोटों की समस्याा ने परेशानी में डाल दिया.
बैंक खुलने के इंतज़ार में लाश पड़ा रहा,बैंक खुलने के बाद मुहल्लेस के चार लोगों ने अलग-अलग अपनी आइडी लगाकर 16 हजार रुपए जुटाए, तब कहीं जाकर अर्थी उठी.
लाश के दाह संस्कार के लिए भी कोई नगदी बदलने को तैयार नहीं था. आखिरकार सब्र टूटा तो मुहल्ले वालों ने बैंक में हंगामा कर दिया.

मुहल्ले के हाजी इकबाल ने पड़ोसी धर्म एवं मानवता का संदेश बुलंद करते हुए बैंक में पहुंचकर अपने पास से चार हजार रुपए का चेंज कराया. पहली किस्त के आठ हजार रुपए तत्काल मृतक के परिजनों के लिए भेजे गए. इसके बाद दाह संस्कार के लिए जुटाए गए 16 हजार रुपए से अंत्येष्टि की प्रक्रिया छह घंटे देरी से शुरू की जा सकी.