नोटबंदी के मुद्दे पर पुरे देश में दो राय है कुछ भक्तगण सरकार के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं वहीँ देश में ज्यदातर लोग मोदी सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। इस बीच देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के प्रति आलोचनात्मक रवैया अपनाया है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान भी इस बाबत विचार किया गया था लेकिन फिर इसे लागू न करने का फैसला लिया गया। उन्होंने यह भी आगाह कहा कि यदि अगले छह महीने के भीतर करेंसी नोट रिप्लेस नहीं किए गए तो अव्यवस्था फैल जाएगी. हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने ये बातें कहीं।
एक सवाल “क्या ब्लैक मनी पर प्रतिबंद लगाना क्या संभव है”, का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि करीब 17 लाख करोड़ रुपए तक की रकम काला धन नहीं है। यदि यह पैसा उन लोगों के हाथ में जाता है जो टैक्स नहीं देते, तब यह ब्लैक मनी हो जाता है और यदि यह उन लोगों के हाथ में जाता है जो टैक्स देते हैं, तब यह काला धन नहीं है।
नोटबंदी के जरिए हम सिर्फ नोट को खत्म कर रहे हैं, उन्हें नहीं पकड़ रहे जिन्होंने टैक्स नहीं दिया है। इसके लिए हमारे पास आईटी विभाग है लेकिन वे अपना काम नहीं कर रहे हैं। गरीब नकदी का संचय करता है. वे अमीर जो टैक्स नहीं देते अपने तकिए के नीचे काला धन नहीं रखते हैं।
यह पूछने पर कि आपको क्या लगता है कि कितना नकदी ब्लैक मनी के तौर पर है, उन्होंने कहा कि इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा तो है नहीं। मुझे लगता है कि अमीर लोग ब्लैक महनी को काफी तेजी से यहां से वहां ‘मूव’ कर लेते हैं। किस तरीके से पैसे को काले धन में बदला जाता है, वह प्रक्रिया अभी पकड़ में नहीं आई है। हम उनकी पहचान नहीं कर रहे जो टैक्स नहीं दे रहे। नोट बैन करके आप कॉस्ट बढ़ा रहे हैं और आम आदमी के अधिकार छीन रहे हैं।
महत्वपूर्ण सवाल “क्या यह बेहतर तरीके से मैनेज हो सकता था”, वह बोले- यदि आपका प्रवर्तन विभाग, आईटी, कमजोर है तो यह मैनेज नहीं हो सकता. यह प्रशासनिक मुद्दा है। क्या आपको लगता है कि इनकम टैक्स अधिकारियों को नहीं पता कि किसके पास काला पैसा है? अगले छह महीने बहुत ही अव्यवस्थित होंगे, वैसे यह इस पर निर्भर करेगा कि आप कितनी जल्दी नई करेंसी ले आते हैं। यदि नकदी की कोई समस्या ही नहीं है तो विदड्रॉल पर सीमा क्यों लगाई गई है। जब उनसे पूछा गया कि आपने कहा था कि यूपीए सरकार के शासनकाल में भी यह मसला उठा था लेकिन आपने इसे ‘रिफ्यूज’ कर दिया, तो उन्होंने कहा कि हां, हमें लगा कि यह नहीं किया जाना चाहिए और बस हमने इसे लागू नहीं किया।