उत्तर प्रदेश: देश से भ्र्ष्टाचार हटाने और कालाधन खत्म करने के चलते लिए गए नोटबंदी के कारण आज देश की गरीब जनता और मध्यम वर्ग की जनता बेज़ार हुई पड़ी है। मध्यम वर्ग जहाँ इस मुसीबत से लड़ने की जद्दोजहद कर रहा है वहीँ मजदूर आदमी के पास खाने और अपनी परिवार को कुछ खिलाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पीएम मोदी का कहना है कि उन्होंने ये फैसला गरीबों के हित में लिया है लेकिन बिना सोचे समझे लिए इस फैसले में सब से ज्यादा आहत कोई हुआ है तो वो इस देश के गरीब और मजदूर लोग ही हैं। नोटबंदी के बाद से अब तक देश में १०० से ऊपर लोग मर चुके हैं। ये आंकड़े अभी भी बढ़ रहे हैं और लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो रहे हैं।
यूपी के बुंदेलखंड के तकरीबन 1 लाख 50 हज़ार से ज्यादा मज़दूर बेरोज़गार हो चुके हैं। बेरोज़गारी के मारे मजदूर आज इतने मजबूर हो चुके हैं कि अपने परिवार को खाना भी मुहैय्या नहीं करा पा रहे। आइये आपसे सांझा करते हैं बांदा के एक गांव भरतकूप के रहने वाले मज़दूर बबलू की कहानी। जिसकी जिंदगी इस वक़्त मौत के कगार पर पहुंचने की कगार पर है। नोटबंदी के बाद से इस परिवार की हालत ऐसी है कि अब इनके घर में खाने के अनाज का एक दाना तक नहीं है और इनके परिवार को पिछले 24 घंटे से कुछ नहीं खाया है। इस बात से परिवार डर के साये जी रहे हैं कि उनका शरीर भूख से कब तक लड़ाई कर पायेगा।
आपको बता दें कि एक ठेकेदार के पास 700 रुपए प्रति दिहाड़ी पर काम करता था लेकिन नोटबंदी के बाद से ठेकेदार ने काम बंद कर दिया और बबलू बेरोजगार हो गया। जिसके चलते ये परिवार पिछले 15 दिनों से पड़ोसी से चावल उधार मांग कर खा रहे थे। लेकिन अब हालात ये है कि पड़ोसी को भी अपना पेट पालने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।