पांच सौ और एक हजार के नोटों को अमान्य करने का असर बैंकिंग प्रणाली पर पड़ रहा है। रिजर्व बैंक ने नकदी संकट तीव्र होने की आशंका जताई है। वाणिज्यिक बैंकों को रिजर्व बैंक की ओर से शनिवार को जारी एक सर्कुलर में बैंकों में जमा हो रही नकदी को अपने पास मंगाने के लिए इंक्रीमेंटल सीआरआर की घोषणा की है। इसके तहत वाणिज्यिक बैंक जो नकदी आरबीआइ के पास जमा कराएंगे, उसपर उन्हें ब्याज नहीं मिलेगा। रिजर्व बैंक अपने इस निर्देश की नौ दिसंबर को समीक्षा करेगा। अभी कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) चार फीसद है। इसमें कोई बदलाव न करते हुए आरबीआइ ने 15 दिन के लिए सौ फीसद इंक्रीमेंटल सीआरआर लागू किया है।
माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक के खजाने में वाणिज्यिक बैंक एक पखवाड़े में 3.5 लाख करोड़ रुपए की करंसी जमा कराएंगे। बैंकों को रिजर्व बैंक ने नुकसान झेलने के लिए तैयार रहने को कहा है। रिजर्व बैंक की प्रमुख सलाहकार अल्पना किल्लावाला ने सर्कुलर में बैंकों को तीन स्तरीय निर्देश दिए हैं। भाषा की खबर के अनुसार, आरबीआइ के इस सर्कुलर में कहा गया है, ‘पांच सौ और एक हजार के नोट जमा होने के चलते बैंकिंग प्रणाली की तरलता बढ़ रही है। अगले पखवाड़े यह और बढ़ेगी।
इसे खपाने के लिए इंक्रीमेंटल कैश रिजर्व रेशियो (आइसीआरआर) लागू की जा सकती है।’ अभी ‘कैश रिजर्व रेशियो’ चार फीसद है। मतलब यह कि बैंकों के पास अगर सौ रुपए हैं तो रिजर्व बैंक के पास चार रुपए जमा कराने होंगे। इंक्रीमेंटल सीआरआर से होगा यह कि बैंकों के पास चेस्ट में जमा हो रही नकदी रखने की जगह निकल आएगी। अभी अधिकांश बैंकों में नकदी खपाने की जगह नहीं है।
रिजर्व बैंक की प्रमुख सलाहकार अल्पना किल्लावाला के मुताबिक, ‘यह अस्थायी कदम है। बैंक अपने नजदीकी आरबीआइ काउंटर पर नकदी जमा करा सकते हैं। सीआरआर में बदलाव नहीं किया जा रहा है।’ आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स कॉन्फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. थॉमस फ्रैंको के मुताबिक, ‘बैंकों के चेस्ट में नकदी रखने की जगह नहीं है। बैंकों में नकदी आ रही है, बाजार में नकदी घट रही है।
बैंकिंग प्रणाली का संतुलन बनाए रखने के लिए सीआरआर में बढ़ोतरी की जाती है। इंक्रीमेंटल सीआरआर अंतिम चरण है। इसके तहत बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी आरबीआइ के पास जमा करा सकते हैं। इस धन पर बैंकों को कोई कमाई नहीं होती। सीआरआर के तहत जमा धन पर आरबीआइ बेहद कम ब्याज देता है।’