नई दिल्ली: नोटबंदी से देश की हालत बिगड़ती देख उद्योग मण्डल एसोचैम का मानना है कि केन्द्र सरकार के ऐसे फैसले से देश में काले धन के पैदा होने पर कोई खासा असर नहीं पड़ेगा. वहीं भारत को कैशलेस सोसाइटी बनाने में कम से कम पांच वर्ष लगेगा.
जागरण के अनुसार, एसोचैम का कहना है कि काले धन का सबसे बड़ा स्रोत रियल एस्टेट और चुनाव है. जब तक राजनीतिक चंदे को आधिकारिक रुप नहीं दी जाती, रियल एस्टेट की स्टाम्प ड्यूटी को न्यूनतम नहीं किया जाता, तब तक नोटबंदी से काले धन के सृजन पर ज्यादा असर नहीं सकता. साथ ही पारदर्शी निर्णय नहीं लिए जाने से काले धन पर लगाम कसना मुमकिन नहीं है. एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि नोटबंदी का उदेश्य बहुत अच्छा था, लेकिन इसका क्रियान्वयन बेहद गलत ढंग हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोटों का चलन बंद करने के बाद देश में जो हालात पैदा हुई है इससे जीडीपी में डेढ़ से दो फीसदी की गिरावट की खतरा है. देश में मंदी के साथ साथ बेरोजगारी बढ़ने का भी खतरा है.
वहीँ एसोचैम के प्रेजिडेंट सुनील कनोरिया का कहना है कि नोटबंदी के नकारात्मक असर भी है. उद्योग पर गहरे प्रभाव के कारण लोग अपनी नौकरियां गवा रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा की सरकार को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे, विशेषतौर पर बुनियादी ढ़ांचे पर काम करना होगा, सोशल सेक्टर में खर्च बढ़ाना होगा और टैक्स को कम करना होगा.
महासचिव डी. एस. रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि नकदी की राशनिंग करने के बजाय उसके प्रवाह को जल्द से जल्द बढ़ाया जाए. कर का सुधार तेजी से किया जाए और ब्याज दरें जल्द से जल्द कम की जाएं, ताकि लोगों को नोटबंदी का झटका सहन कर सके.