उत्तरप्रदेश: गोरखपुर में नोटबंदी का इतना बुरा असर पड़ा है कि वहां के मजदुर वर्ग के लोग पैसे के चक्कर में नसबंदी तक करवा रहे हैं. मुख्यतौर पर इसका असर सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग पर पड़ रहा है. दिहाड़ी मजदूरों के घरों में दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हैं. और मजदूरों की हालत दर्दनाक है. गोरखपुर में खाली बैठे तीन दर्जन से ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों ने इस दौरान नसबंदी करा ली.
‘हिन्दुस्तान’ की टीम जब नोटबंदी का असर जानने शुक्रवार को मजदूर मंडियों में घूमी तो यह जानकारी सामने आई. कि नसबंदी कराने वालों में शामिल अधिकतर वो गरीब मजदुर हैं जिनके पास एक वक़्त की रोटी खाने तक का पैसा नहीं है. ये पुरे दिन मजदूरी कर शाम को घर लौटता है और अपने परिवार का भरण पोषण करता है. लेकिन नोटबंदी से इन मजदूरों की स्तिथि ऐसी हो गई है कि अपने पेट भरने के लिए उन्हें नसबंदी का सहारा लेना पड़ रहा है क्योंकि नसबंदी से उन्हें संस्था की ओर से 1000 रूपया मदद राशि के तौर पर मिल जाता है जिससे वे अपने परिवार के लिए दो वक़्त की रोटी का इंतजाम कर पाता है
गौरतलब है कि पीसीआई के टीम लीडर संदीप पांडेय के अनुसार, 20 अक्तूबर से 25 नवंबर के बीच कुल 49 दिहाड़ी मजदूरों की नसबंदी हुई है. इनमें से 39 की नसबंदी नोटबंदी के दौरान हुई है. नसबंदी कराने वालों में सबसे कम उम्र का एक युवक मात्र 23 साल का है. नसबंदी कराने पर मजदूरों को संस्था की ओर से एक हजार रुपये नकद मिलता है.