नई दिल्ली: सरकार ने दावा किया है कि नोटों को रद्द करने का प्रभाव अस्थायी रहेगा। इससे मकानों की कीमतों में कमी आएगी और मध्य वर्ग को सस्ते मकान मिलेंगे। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण 2017 पेश करते हुए कहा कि नोटों को रद्द करने का समग्र जीडीपी की वृद्धि पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव अस्थायी रहेगा।
सरकार ने कहा है कि मार्च 2017 के अंत या अप्रैल 2017 तक बाजार में नकदी की आपूर्ति सामान्य स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है। इसके बाद अर्थव्यवस्था में फिर से आम स्थिति बहाल हो जाएगी। 2017-18 में जीडीपी के विकास दर 6.75 प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि नोटों को रद्द करने का अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव और लाभ दोनों ही होंगे। नोटों के विलोपन से पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव में नकदी की आपूर्ति में कमी और इसके नतीजे में जीडीपी वृद्धि में अस्थायी कमी शामिल है, जबकि अपने फायदे में डिजिटलाईज़ेशन में वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक करों का भुगतान और अचल संपत्ति की कीमतों में कमी शामिल है, जो आय के कलेकशन और जीडीपी दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है।