हैदराबाद: 500, 100 के नोटों पर लगे प्रतिबंध को आईआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला बताते हुए कहा इसने घबराहट वाली स्तिथी पैदा कर दी है और गरीब एवं मध्य वर्गीय लोगों को गहरी मुसीबत में डाल दिया है।ओवैसी ने मोदी से अपना फैसला फौरन रद्द करने की विनती भी की।
हैदराबाद के लोकसभा सदस्य ने कहा कि भारत में सिर्फ 2 प्रतिशत जनता ही बिना केश की अर्थव्यवस्था प्रयोग करती है जबकि 98 प्रतिशत जनता आर्थिक लेन देन केश के ज़रिये ही करती है। रोज़ की आमदनी वाले कर्मचारी जैसे ड्राइवर, प्लम्बर, और नौकरानी इन सब को खर्चा केश द्वारा ही मिलता है। यह फैसला खलबली और घबराहट का कारण बनने वाला है, इसकी वजह से बाज़ार में पहले ही खलबली मच चुकी है। आम आदमी और गरीब लोगो में घबराहट की स्तिथि उत्पन्न हो चुकी है। जिन लोगों को उनकी तनख्वाह केश के ज़रिये मिलती थी वो लोग निराश है और सोच में गम है कि क्या किया जाये।
ओवैसी ने कहा कि जनवरी में केंद्र सरकार पहले ही यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस लागु करने वाली थी, ऐसे में इस जल्दबाज़ी की कोई ज़रूरत नहीं थी। मोदी के 200 नोटों को जारी करने की नीति की कड़ी आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा कि नैनो ट्रैकर जो की सरकार बता रही है कि 200 के नोटों में लगाया जायेगा वो अपरीक्षित है और अभी तक विश्व में कही इसका प्रयोग नहीं किया गया है यह सिर्फ जनता के पैसों की बर्बादी है। ओवैसी ने कहा कि सरकार के इस क़दम का प्रभाव बीजेपी के छोटे व्यापारी वोट बैंक पर पड़ेगा। सरकार को अपना ये फैसला फ़ौरन वापस ले लेना चाहिए और जनता को राहत की सांस लेने देने चाहिए। ओवैसी ने कहा कि नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 70 करोड़ रूपये साल के हिसाब से देश में जाली नोट आते हैं। अभी 400 करोड़ जाली नोट देश के बाज़ार में उपस्थित है।
आरबीआई की करेंसी कुल 16 लाख करोड़ भारत के बाज़ार में हैं, यह आकंड़ा सिर्फ आरबीआई की कुल करेंसी का 0.025 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री ने 500,1000 के नोट प्रतिबन्ध करने के लिए जाली नोटों को सिर्फ बहाने के रूप में प्रयोग किया है।