नौकरियों में मंदी से पता चलता है कि भारत जनसांख्यिकीय आपदा की और अग्रसित है

टेलिकॉम डिपार्टमेंट की वार्षिक 2016-17 रिपोर्ट के अनुसार भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री एक साल में 20 लाख लोगों को सीधे रोजगार प्रदान करता है, और अप्रत्यक्ष रूप से कम से कम 20 लाख लोगों को रोजगार देता है। लेकिन इस बार कम से कम 10-20 लाख लोगों ने अपना रिज्यूम टेलिकॉम इंडस्ट्री में भेजा लेकिन वे अपने आप को बेरोज़गार पाया, उनको जॉब नहीं मिली।

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दूरसंचार विभाग का कहना है कि इस वित्त वर्ष में रेवेन्यु शेयर के रूप में सिर्फ 29,500 करोड़ रूपए ही मिलेगा। यह फरवरी में जारी केंद्रीय बजट में अनुमानित 47,300 करोड़ रुपये के रेवेन्यु शेयर से 37% कम है। रेवेन्यु कॉन्ट्रैक्ट के रूप में दूरसंचार ऑपरेटरों को अपने कर्मचारियों को 5% -10% के बीच में ही मजबूत होना होगा।

ज्यादातर टेलिकॉम कम्पनियां एक दुसरे में मर्ज हो गई हैं। प्रत्येक मर्ज का आकार घटाने के बाद किया जाएगा और मौजूदा सौदों के बाद कम से कम 15,000-20,000 नौकरियां पहले ही वितरित की जा चुकी हैं। उनमें से कई श्वेत कॉलर कर्मचारी होंगे, उनमें से कुछ लाखों लाखों से चलने वाले वार्षिक क्षतिपूर्ति के साथ होंगे। यही वजह है कि जॉब घटने लगे हैं।