टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज कंपनी की तरफ से मगध यूनिवर्सिटी को फर्जी करार देकर नौकरी से निकाले गये पांच उम्मीदवारों ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। उन्होंने इसे मगध यूनिवर्सिटी से जुड़े तालिबे इल्म और डिग्री ले चुके लाखों लोगों की इज्ज़त पर हमला बताया है। टीसीएस के सीइओ एन चंद्रा समेत बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भेजे इ-मेल में उम्मीदवारों ने कहा कि आप भले ही हमारे मामले में कुछ न करें, मगर कम-से-कम मगध यूनिवर्सिटी को फर्जी कह कर इसका बेजती न करें।
पहले भी तीन बार हुई जांच
उम्मीदवार राजेश ने कहा कि कंपनी में हर साल बीजीसी जांच होती है। तीन बार जांच में पॉजिटिव पाया गया। चौथी बार में यह निगेटिव कैसे हो गया?
लंबा है यूनिवर्सिटी का तारीख
उम्मीदवार ने कहा कि मगध यूनिवर्सिटी की तारीख साल 1956 से रहा है। किसी ने भी आज तक इसकी डिग्रियों को फर्जी या गलत करार नहीं दिया। इस मामले में हमने वाइस चांसलर से भी आमने-सामने मुलाकात की। उन्होंने भी इसे अजीब हरकत करार दिया। यह यूनिवर्सिटी यूजीसी के तमाम नॉर्म्स को फॉलो करता है।
मांगी सफाई
एक तालिबे इल्म शाहनवाज ने एचआर अर्पणा को लिखे इ-मेल में कहा कि मैंने छह साल तक ईमानदारी से काम किया। उन्होंने आज भी टीसीएस के इसी प्रोजेक्ट में मगध यूनिवर्सिटी से डिग्री लेनेवाले कई लोग काम कर रहे हैं।