न्यूकलीयर आबदोज़ बहरी बेड़ा में शामिल

वज़ीर-ए-दिफ़ा मिस्टर ए के अनतुनी ने न्यूक्लियर आबदोज़ नीरपा को इस का नाम बदल कर आई एन ऐस चक्क्र रखा गया है आज बाक़ायदा तौर पर बहरी बेड़ा में शामिल किया। इस के साथ ही हिंदूस्तान न्यूक्लियर सलाहीयत की हामिल आबदोज़ से लैस छः ममालिक के ग्रुप में शामिल होगया है।

मिस्टर अनतुनी ने इस मौक़ा पर बैन-उल-अक़वामी बिरादरी को यक़ीन दिलाया कि ख़ित्ता में असलहा की दौड़ को बढ़ावा देने केलिए ये इक़दाम नहीं किया गया है बल्कि इस का मक़सद हिंदूस्तान की सलामती को यक़ीनी बनाना है। 2 हज़ार टन वज़नी और 110 मीटर तवील इस आबदोज़ को बहरी बेड़ा में शामिल किए जाने पर बहरीया के सरबराह एडमीरल निर्मल वर्मा ने कहा कि इस से बहरीया को तक़वियत मिलेगी।

ये आबदोज़ 30 मील फ़ी घंटा की रफ़्तार से चल सकती है और ये तोप शिकन-ओ-तारपीडो के इलावा सतह से फ़िज़ा-ए-में वार करने वाले मीज़ाईल से भी लैस है। अब तक सिर्फ पाँच ममालिक अमरीका, बर्तानिया, रूस, फ़्रांस और चीन के पास ये आबदोज़ मौजूद थे। इस जहाज़ को ख़ुसूसीयत ये है कि तक़रीबन तीन माह तक पानी के अंदर रहा जा सकता है।

इसी मुनासबत से आबदोज़ में बड़े पैमाने पर रहने का इंतिज़ाम किया गया है इस के इलावा तफ़रीह का सामान भी मुहय्या किया गया है।येआबदोज़ रूस से दस साल केलिए लीज़ पर हासिल की गई है।अनतुनी ने कहा कि आइन्दा चंद साल में बहरीया मज़ीद न्यूक्लियर आबदोज़ हासिल करेगा।