नई दिल्ली। भारतीय नौसेना अब पहले ताकवतवार और हाईटेक होने जा रही है। अपने ही देश में 6 न्यूक्लियर सबमरीन बनाने का काम शुरु हो चुका है। भारतीय नौसेना अपने न्यूक्लियर सबमरीन जल्द ही समुद्र में उतार देना चाहती है।
इसके पीछे की वजह है समुद्र चीन की बढ़ती ताकत। पिछले कुछ सालों से चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है। जिसकी वजह से कई देश अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क हो चुके हैं।
नौसेना दिवस से पहले सालाना संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि हिंद महासागर में डकैती रोधी अभियान के लिए चीन द्वारा पनडुब्बियां तैनात करना अजीब बात है।
उन्होंने कहा कि भारत ने भी खतरे का आकलन किया है। हिंद महासागर क्षेत्र में कई बार चीनी पनडुब्बियों को देखा गया है और चीन ने दावा किया है कि वह डकैती रोधी अभियान में सहायता कर रहा था।
एडमिरल लांबा ने कहा कि 2013 से चीन की पीएलएएन पनडुब्बियां लगातार हिंद महासागर में देखी जा रही हैं और वहां दो पनडुब्बियों को वैकल्पिक रूप से तैनात किया गया है, जिसमें से एक परमाणु रहित पनडुब्बी और एक परमाणु चालित पनडुब्बी है।
उन्होंने कहा कि वे कह सकते हैं कि यह एक समुद्री डकैती रोधी अभियान है, लेकिन पनडुब्बी को यह कार्य सौंपना अजीब है। डकैती रोधी अभियान के लिए पनडुब्बी की तैनाती उचित नहीं है और भारत ने इसे एक खतरे के रूप में लिया है।