हिंदूस्तान ने आज ख़बरदार किया कि न्यूक्लीयर दहश्तगर्दी उस वक़्त तक बदस्तूर एक संगीन ख़तरा बनी रहेगी तावक़ती ( जब तक कि) के दहश्तगर्द अनासिर एटमी मवाद और टेक्नोलोजी तक रसाई हासिल करने की कोशिशें जारी रखेंगे और दावा किया कि न्यूक्लीयर सलामती की बेहतरीन ज़मानत सिर्फ यही हो सकती है कि दुनिया को ऐसे ( ऐटमी) अस्लाह से मुकम्मल तौर पर महफ़ूज़ पाक-ओ-साफ़ बनाया जाए ।
वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने जुनूबी कोरिया के दार-उल-हकूमत सियोल में दूसरी दो रोज़ा न्यूक्लीयर सलामती चोटी कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए कहा कि हिंदूस्तान इस ख़तरा से पूरी शिद्दत के साथ बाख़बर है । डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि दहश्तगर्दों को इजतिमाई तबाही का सबब बनने वाले अस्लाह तक रसाई से महरूम रखने के लिए हिंदूस्तान की ताईद याफ्ता क़रारदाद 2002 के दौरान मुत्तफ़िक़ा तौर पर मंज़ूर की गई थी ।
उन्होंने कहा कि हिंदूस्तान ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की सलामती कौंसल की क़रारदाद 1540 और इसकी कमेटी के काम में तौसीअ की ताईद की है । इस क़रारदाद ने कीमीयाई हयातयाती रेडयाई जरासीमी और न्यूक्लीयर अस्लाह के ग़ैर सरकारी ग्रुपों तक फैलाव और रसाई से रोकने के लिए क़वानीन और ज़ाबतों के मुताबिक़ कार्रवाई करने की तमानीयत दी गई है ।
डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि न्यूक्लीयर दहश्तगर्दी उस वक़्त तक बदस्तूर संगीन ख़तरा बनी रहेगी जब तक दहश्तगर्द अनासिर अपने नापाक अज़ाइम-ओ-मक़ासिद के लिए एटमी मवाद और टेक्नोलोजी के हुसूल की कोशिशें जारी रखेंगे । उन्होंने कहा कि न्यूक्लीयर सलामती की बेहतर ज़मानत यही हो सकती है कि दुनिया को एटमी अस्लाह से पाक-ओ-साफ़ बनाया जाए ।
डाक्टर मनमोहन सिंह ने याद दिलाया कि साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म आँजहानी राजीव गांधी ने दुनिया को एक मुक़र्ररा वक़्त तक न्यूक्लीयर अस्लाह से मुकम्मल तौर पर पाक-ओ-साफ़ बनाने के लिए आज से तक़रीबन 25 साल क़ब्ल एक जामि मंसूबा अमल पेश किया था । आँजहानी राजीव गांधी का ये मंसूबा आज के दौर में भी इन मक़ासिद के हुसूल के लिए ग़ैरमामूली एहमीयत और इफ़ादीयत का हामिल है ।
डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि न्यूक्लीयर सलामती बुनियादी तौर पर एक क़ौमी ज़िम्मेदारी है लेकिन इस अहम ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाने वाले ममालिक को मूसिर बैन-उल-अक़वामी तआवुन के ज़रीया फ़ायदा पहुंचाया जाना चाहीए । वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि न्यूक्लीयर सलामती के असल बैन-उल-अक़वामी क़ानूनी समझौता में हिंदूस्तान भी एक अहम फ़रीक़ की हैसियत से शामिल है ।
मज़ीदबराँ एटमी अस्लाह के अमली तहफ़्फ़ुज़ से मुताल्लिक़ बैन-उल-अक़वामी समझौता और 2005 के दौरान इसमें की गई तरमीम का भी हिंदूस्तान एक अहम फ़रीक़ है ।