समाजवादी पार्टी के उच्च वोल्टेज ड्रामा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के ऊपर से लोगों का ध्यान हटा दिया है। सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने अपने चुनाव के प्रबंधक के रूप में प्रशांत किशोर ने काम पर रखा है और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी पूर्ण अधिकार दे रखा है। आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए राहुल ने राज्य का एक तूफानी दौरा किया और खाट पंचायतें भी की |
एक दिलचस्प बात यह भी है कि पार्टी के चार मुस्लिम विधायकों में से तीन बसपा में शामिल हो गए हैं | शेष छ बागी विधायकों में से पांच ने भाजपा व एक ने सपा की सदस्यता ले ली है | यह विश्लेषण आगामी चुनाब में होने वाली स्तिथि को दर्शाता है |
चुनाव के मद्देनज़र की जा रही गतिविधियों में कांग्रेस ने कुछ हासिल करने के बजाए अभी तक सिर्फ खोया ही है | प्रशांत किशोर के प्रबंधन और राहुल के करिश्मा के बावजूद पिछले तीन महीनों में 9 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं जिनमें से एक पुर्व प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश में पार्टी के मुख्य चेहरों में से एक नेता शामिल हैं | इसके अलावा इतनी ही संख्या में और लोगों के पार्टी छोड़ने का भी अंदेशा है | इन सब गतिविधियों से ऐसा लगता है कि कांग्रेस राज्य में अपनी बची खुची ज़मीन भी खो रही है |
पार्टी छोड़ने की शुरुआत अगस्त में विधान परिषद् और राज्यसभा के लिए चुनाव के दौरान शुरू हुयी | जिसके चलते विधानसभा में पार्टी के विधायकों की संख्या सिर्फ 20 रह गयी जो पहले 29 थी | पार्टी छोड़ने वाले लोगों में दिलनवाज़ खान, मुहम्मद मुस्लिम और नवाब काजिम अली खान शामिल हैं | यह ध्यान देने वाली दिलचस्प बात है कि इन सभी मुस्लिम विधायकों ने अपनी नयी पार्टी के रूप में बसपा को चुना | अब कांग्रेस में केवल एक मुस्लिम विधायक नदीम जावेद रह गए हैं | बसपा में मुस्लिम विधायकों का जाना आने वाले चुनाव के रुख के बारे में भी इशारा कर रहा है |
पार्टी छोड़ने वाले दुसरे विधायक हैं,विजय दुबे, संजय जायसवाल, माधुरी वर्मा, प्रदीप चौधरी और रीता बहुगुणा जोशी (पूर्व उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष)– यह सभी भाजपा में शामिल हुए हैं। केवल मुकेश श्रीवास्तव सपा में शामिल हुए हैं।
पीके के चुनाव प्रबंधन के अनुसार, राहुल ने 26 खाट पंचायतों, 26 रोड शो का आयोजन किया और 700 से अधिक बैठकों को संबोधित किया। लेकिन इस सब के बावजूद वे भारी संख्या में पलायन को नियंत्रित करने में विफल रहे। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि पीके कांग्रेस की राजनैतिक रणनीतियों को समझने और उनके अनुसार काम करने में विफल रहे | रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी छोड़ते वक़्त कहा कि पीके को केवल एक जनमत सर्वेक्षण का प्रबंधक और निर्देशक होना चाहिए | दिलचस्प है, पार्टी से पलायन तब शुरू हुआ जब उत्तर प्रदेश की बागडोर अनाधिकारिक तौर पर राहुल गांधी को सौंप दी गयी । “इससे पहले कम से कम सोनिया गांधी हमें सुन लिया करती थी लेकिन अब ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, ” रीता भाजपा में शामिल होते वक़्त टिप्पणी की।
उत्तर प्रदेश में अपने लिए संभावनाओं की कमी के चलते कांग्रेस की उम्मीदें अब सपा पर टिकी हैं जहाँ अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच लड़ाई जारी है | कांग्रेस का सपना सपा के साथ गठबंधन कर उत्तर प्रदेश में सत्ता सुख प्राप्त करना है जिससे वह पिछले 27 साल से वंचित है |