पकवान गैस पर सब्सीडी के बोझ से छुटकारा पाने के लिए मर्कज़ी हुकूमत का फ़ैसला मुतवस्सित तबक़ा पर नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त बोझ साबित होगा। एक गैस कनैक्शन पर साल में सिर्फ 6 सलेंडरस की सरबराही होगी। इस से ज़्यादा लेने पर फ़ी सलेंडर 750 रुपय अदा करने होंगे।
इस फ़ैसला पर हुकूमत ने फ़ौरी अमल आवरी के लिए अहकामात जारी करदिए हैं और हुकूमत ने रहनुमायाना उसूल जारी भी करदिए हैं। समाजी बहबूद हॉस्टलों, जेल, आंगन वाड़ी मराकिज़, कस्तूरबा स्कूल, गुरु कल्ला स्कूल को ताहाल 14 गैस सलिंडरस रियायती क़ीमत पर सरबराह किए जा रहे हैं।
अब आइन्दा सालाना सिर्फ़ 6 सलेंडरस ही सरबराह किए जाऐंगे। मर्कज़ी हुकूमत अवामी तक़सीम शोबा क़ानून के मुताबिक़ एक से ज़ाइद कनैक्शन जुर्म कहलाएगा , इस के बाद दो कनैक्शन हो तो फ़ौरी वापिस करदें बसूरत-ए-दीगर डिपौज़िट ज़बत करदी जाएगी। ज़िले में मुस्तक़िल 550737 कनैक्शन हैं।
दीपम के तहत 177511 कनैक्शन दिए गए हैं। सालाना 8367216 सलेंडरस का इस्तेमाल अमल में आरहा है। फ़िलहाल मर्कज़ी हुकूमत का रूबा अमल क़ायदा की वजह से 3649728 गैस सलेंडरस 750 रुपय की अदायगी करनी पड़ेगी। एक सलेंडर 405 रुपय सब्सीडी पर सरबराह किया जा रहा है।
अब नए क़ाएदे क़ानून की अमल आवरी की वजह से फ़ी सलेंडर 345 रुपया इज़ाफ़ा वसूल किए जाऐंगे। जिस की वजह से हुकूमत को सालाना 125 करोड़ 91 रुपया की बचत होगी। इस मर्कज़ी हुकूमत के रूबा अमल लाए जा रहे फ़ैसले के ख़िलाफ़ सयासी जमातों की जानिब से सख़्त मुख़ालिफ़त की जा रही है।
20 सितंबर को कुल जमाती बंद का ऐलान किया गया। अब देखना ये है कि इस भारत बंद में सभी हिज़्ब-ए-मुखालिफ़(सब मिल कर) जमातों और हलीफ़ जमातों ने भी हिस्सा लेने का फ़ैसला करलिया है। इस बंद की कामयाबी के बाद भी हुकूमत आया अपने फ़ैसले पर नज़रसानी करेगी या क़ायम रहेगी देखना होगा।