पटना : भागलपुर कलेक्ट्रेट परिसर में वासभूमि की मांग कर रहे भूमिहीन दलित-वंचित महिला-पुरुषों पर बर्बर लाठी चार्ज के एक माह से अधिक वक्त गुजर जाने के बाद भी दोषी अफसरों पर राज्य सरकार ने कोई कारवाई नहीं की है। इस बर्बर लाठीचार्ज के दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर 18 जनवरी को राज्य की राजधानी पटना में न्याय मंच, जनसंसद, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के संयुक्त तत्वावधान में प्रतिवाद-प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर पटना यूनिवर्सिटी गेट से कारगिल चौंक तक मार्च निकाला गया और पटना यूनिवर्सिटी गेट के साथ-साथ कारगिल चौंक पर भगत सिंह की प्रतिमा स्थल पर सभा आयोजित हुई।
सभा को संबोधित करते हुए न्याय मंच के नेता डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि मण्डल कमीशन की सवारी करते हुए बिहार की सत्ता पर बारी-बारी से काबिज होने वाले लालू-नीतीश राज के 25 साल बीत जाने के बाद भी सामाजिक न्याय के महत्वपूर्ण व बुनियादी भूमिसुधार पर काम नहीं हुआ है। जबकि मण्डल कमीशन की सिफ़ारिशों में सामाजिक न्याय की गारंटी के लिए भूमि सुधार को बुनियादी व महत्वपूर्ण एजेंडा बताया गया है। पिछले चुनाव में लालू यादव ने मण्डल राज -2 के लिए वोट मांगा था, किन्तु पूरे बिहार में पुरानी व नई सामंती ताक़तें दलितों-वंचितों पर लगातार जुल्म ढा रही हैं।
जनसंसद के प्रवक्ता रामानन्द पासवान ने कहा कि बिहार में लगातार दलित-वंचित कब्जे वाली जमीन से बेदखल किए जा रहे हैं। बेदखल पर्चाधारियों का सवाल हल होना तो दूर की बात, वासभूमि के मामले में भी खानापूर्ति हो रही है। इस प्रतिवाद-प्रदर्शन में भागलपुर लाठीचार्ज के साथ-साथ सूबे बिहार में दलितों के भूमि अधिकार के मुद्दे के साथ-साथ अररिया-सहरसा में भूमिहीनों पर हमले से लेकर हाजीपुर-वैशाली में स्कूली छात्रा के बलात्कार-हत्या के खिलाफ न्याय की आवाज बुलंद की गई। वक्ताओं ने कहा राज्य सरकार के दलित-वंचित विरोधी रवैये के चलते ही पूरे राज्य में दलितों-भूमिहीनों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। राज्य में सामंतों-दबंगों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि दलितों-गरीबों के घर जलाये जा रहे हैं, विरोध करने पर हत्याएं तक हो रही हैं। राज्य सरकार ने जिन भूमिहीनों को जमीन का पर्चा दिया है, उस पर आज तक भूमिहीनों को दखल नहीं दिलाया जा सका है। सरकारी जमीन पर बसे भूमिहीन झुग्गीवासियों को बगैर पुनर्वास व मानवाधिकारों की गारंटी किये उजाड़ा जा रहा है।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए रिहाई मंच, उत्तर प्रदेश के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर पूरे देश में दलितों-पिछड़ों व अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न जारी है। और इसके न्याय के लिए लोकतांत्रिक आंदोलन चलाने वाले समूहों के साथ सत्ता का बर्ताव अत्यंत ही बर्बर है। उन्होंने कहा कि इस मामले में बीजेपी शासित राज्यों के साथ-साथ गैर बीजेपी शासित राज्यों की स्थिति भी एक जैसी है। यूपी में अखिलेश सरकार का भी यही रवैया रहा है और बिहार में नीतीश की सरकार भी यही कर रही है। उन्होंने कहा कि पूरे देश के लोकतांत्रिक आंदोलन चलाने वाले समूहों को सामाजिक न्याय व सेकुलरिज़्म की मुकम्मल लड़ाई लड़ने के लिए व्यापक एकजुटता बनाने की जरूरत है।
प्रतिवाद-प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा कि बिहार में जारी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के दोषियों पर राज्य सरकार कार्रवाई करने से भाग रही है। छपरा, वैशाली, मोतिहारी सहित राज्य के जिन इलाकों में पिछले दिनों सांप्रदायिक हिंसा हुई, उन हिंसा पीड़ितों से नीतीश-लालू ने मिलना भी जरूरी नहीं समझा। 1989 के भागलपुर सांप्रदायिक दंगे के पीड़ितों को आज तक न तो सुरक्शित पुनर्वास की गारंटी की गई है और न ही सिख दंगे के तर्ज पर उन्हें क्षतिपूर्ति मुआवजा ही दिया गया है। दंगा पीड़ितों की स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है और वे अमानवीय हालत में जीने को विवश हैं। जबकि भागलपुर दंगे के बाद से बिहार में सेकुलरिज़्म और सामाजिक न्याय के नाम पर सरकार चलती रही है।